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06 सितंबर 2010

घर से निकलते ही आवारा जानवर और गड्डे मिल गये

कोटा में पहले भाजपा का महापोर था
में और मेरी तरह कई लोग
घर से
इसलियें नहीं निकलते तहे
क्यूंकि
भाजपा बोर्ड में शहर की सडकें खुदी थीं
सडको पर आवारा जानवरों का उत्पात था
चुनाव हुए हमने मेंहनत की
कोंग्रेस की दिल्ली जयपुर की सरकार देख कर
कोटा में भी कोंग्रेस की माह्पोर हो
इसलियें कड़ी से कड़ी जोड़ने के लियें मेहनत की
हमारी मेहनत रंग लायी कड़ी से कड़ी जुड़ गयी और महापोर कोंग्रेस की बन गयीं
फिर कड़ी से कड़ी जुडी
कोटा के मंत्री जी को स्वायत्त शासन यानि शहरी विकास मंत्रालय मिल गया
में बहुत खुश हुआ
सोचा चलो अबतो कड़ी से कड़ी जुड़ गयी हे
मंत्री भी अपने सरकर भी अपनी महापोर भी अपनी
अब तो शहर इ सफाई सड़के सब चका चक होंगी
दोस्तों में बाहर निकला मोटर साइकल ली
और सडक पर चल दिया
पहले तो एक नाली पर पत्थर ना था वहां धम से गिरा
फिर उठा आगे गंदगी का ढेर था उसमें मोटर साइकल का पहिया फिसल गया
फिर उठा थोडा चलता खड्डे में मोटर साइकल सहित गिर गया
टूटी मोटर साइकल बिगड़ी शक्ल लेकर में डरा सहमा
घर की तरफ मुडा सोचा घर चलो
बस फिर क्या था दो लावारिस गायें लडती हुई आयीं
मेंने बचने की कोशिश की लेकिन वोह मुझसे टकराई
में फिर गिरा धडाम से एक गएँ मुझे कुचलती हुई निकल गयी
में कराहता रहा चिलाता रहा
चेहरे और बदन पर ज़ख्म ही ज़ख्म थे
मोटर साइकल टूटी थी
में चुप छाप उठा और घर चल दिया
में सोचता के कहीं लोग नगर निगम की लाईट में मेरी यह दुर्दशा ना देख लें
सो में कपट छुपता जाने की सोचने लगा लेकिन भला हो नगर निगम का
जो मेरी लुटी पिटी हालत लोग ना देख सकें इसलियें नगर निगम की लाइटें
हमेशां की तरह बंद मिली मेने तसल्ली की सोचा
चलो मुझे इस हालत में
भाजपा के नेताओं ने तो नहीं देखा
नहीं तो बताओ में उन्हें
कड़ी से कड़ी जोड़ने और शहर सुधारने की डींगें मारने का क्या जवाब देता
मेने दिल ही दिल नगर निगम की महापोर को धन्यवाद दिया
सोचा चलो हमेशां की तरह रत की रोड लाइटें बंद थीं
वरना लोग मुझे इस हालत में देखते तो
मेरी सरकार की दरिंदगी के चलते
में तो शर्म से ही मर जाता
सोचा चलो जान बची लाखों पाए
लोट के बुद्धू घर को ए।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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