तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
08 सितंबर 2010
जाति आधारित जनगणना पर खर्च ४ हजार करोड़
दोस्तों देश में सेन्सस एक्ट के प्रावधानों के तहत जनगणना का काम ज़ोरों पर चला और अगला चरण फरवरी में होना हे इस बीच केंद्र सरकार ने जनगणना के दोरान और पूंछ तांछ के साथ जाती के बारे में भी पूंछ तांछ कराने का निर्णय लिया लेकिन सरकारी आंकड़ों ने इसका अतिरिक्त खर्च देश में ४ हजार करोड़ रूपये आना बताया हे , अब आप ही बताइए एक काम जो देश में पहले से ही किया जा रहा हो अगर उसमें एक सवाल और जोड़ दिया जाए तो आदमी यानी कर्मचारी जो पहले से ही लगे हुए हें उन्हें एक सवाल ही पूंछना हे अब जनाब आप खुद ही बताइए क्या देश में एक सवाल दुसरे पूंछे जाने वाले सवालों के साथ जिसका खर्चा पहले से ही तय हे इसके अतिरिक्त क्या ४ हजार करोड़ का पढ़ सकता हे इसमें क्या मनमोहन का अर्थशास्त्र हे या फिर भ्रष्टाचार का अर्थशास्त्र हे खेर दोनों में से कोई भी अर्थशास्त्र हो बात तो एक ही हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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