देश भर में ईद के चाँद का सभी वर्ग के लोगों को बेकरारी से था इन्तिज़ार लेकिन चाँद नहीं दिखा तो तो सारा इंतजार रहा बेकार , आज २९ वें रमजान पर लोगों को उम्मीद थी के देश भर में शायद आज चाँद नजर आ जाए और ईद कल यानि दस सितम्बर को घोषित हो जाए लेकिन चारों तरफ दिल्ली हो चाहे हो हेदराबाद चाहे हो जयपुर चाहे हो लखनऊ सभी जगह पर आज चाँद नजर नहीं आया और काफी इन्तिज़ार के बाद हिलाल कमेटी ने कल रोज़े और परसों यानी ११ सितम्बर को ईद की घोषणा की ।
ईद के चाँद का इस बार पुरे देश के सभी वर्ग सभी जातियों के लोगों को बेसब्री से इन्तिज़ार था बात सुनने में आपको अटपटी जरुर लगेगी लेकिन जनाब यह सही हे मुसलमान भाई तो चाँद को ईद के चाँद के हिसाब से बेसब्री से देखने का इन्तिज़ार कर रहे थे जब चाँद नहीं दिखा तो सभी मुस्लिम भाइयों में निराशा छा गयी ।
दूसरी तरफ एक बढ़ा तबका आज के चाँद पर अपनी निगाहें लगाये हुए था वजह यह थी के उनके लियें यह चाँद ईद का चाँद नहीं लेकिन छुट्टी का चाँद जरुर था , इस साल गणेश चतुर्थी और १५ अगस्त सहित कई त्यौहार अवकाश के दिन आये हें जिससे सरकारी कर्मचारियों को छुट्टियों का नुकसान हुआ हे कल शुक्रवार था अगर कल ईद का चान्द हो जाता और ईद होती तो कल की सरकारी छुट्टी भी होती और फिर शुक्रवार ,शनिवार ,रविवार पुरे तीन दिन लोगों को छुट्टी का आराम मिल जाता , मुझ से मेरी एक महिया अधिकारी मित्र ने जिसका पोस्टिंग बाहर था बार बार सम्पर्क बनाये रखा वोह तुरंत ईद की घोषणा होने पर अपने घर जाना चाहती थीं लेकिन जब चाँद नहीं हुआ तो उनका अफ़सोस देखने लायक था , मुझसे उन्होंने कहा के तुम्हारा चाँद तो बेवफा हे छुट्टी के मामले में दगा दे गया अब सेकंड सटरडे को ईद मनेगी तो हमारे किस काम की उनका कहना था के जीने पी एल भरी हे और चले गये उन्हें तो अब इन छुट्टियों का भी नुकसान होगा , उनका कहना था के इससे तो हमारा चाँद वफादार होता हे जो हर बार पूर्णिमा पर होली और राखी पूर्व निर्धारित तिथि पर हे होती हे चाँद के प्रति इस बार सभी धर्म वर्ग के लोगों का इन्तिज़ार अपने अपने तरीके से करने पर में सोचने लगा के देखों दुनिया हो या हो चाँद हर चीज़ को लोग अपने अपने पहलु से देखते हें अपने अपने पहलु से समझते हें और इस छुट्टी के चाँद के साथ भी ऐसा ही हुआ अगर शुक्रवार की ईद होती तो चाँद बहुत मस्त था एक छुट्टी मिलने पर सब चाँद को बहुत बहुत प्यारा कहते लेकिन जब चाँद छुट्टी के दिन ईद मना रहा हे तो फिर बेचारे चाँद को तो गलिया सुनना ही था फिर चाहे वोह पवित्र ईद का ही चाँद क्यूँ ना हो। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 सितंबर 2010
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अभी अभी दुबई फोन किए थे...पता चला कि ईद कल है वहाँ...इसलिए हमारे यहाँ तो परसों ही ईद होगी...
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