आपका-अख्तर खान

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29 सितंबर 2010

जरा गिरेबान में झांक ले

ऐ इन्सान
यह हे
हिन्दुस्तान
क्यूँ ढूंढता हे
मुझे तू
मन्दिर ,मस्जिद में
जरा झाँक कर तो देख
अपने गिरेबान में
यह मानवता हे
ना अल्लाह हे ना भगवान हे
बस वहीं यह सब हें
जहां बस इंसान और इंसान हें
पत्थर की चंद दीवारों को
क्यूँ कहते हो इबादत गाह
अरे सोच लो जहां न सुकून हो
जहां ना हो प्यार
बस जिसके खातिर
चारो तरफ हो तकरार ही तकरार
फिर ऐसी जगह को
तुम ही बतलाओ
क्यूँ हम ना कहें कत्ल गाह ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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