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16 सितंबर 2010

मुझे बताओ तो जरा ....


मुझे बताओ तो जरा
आदमी आदमी से
कतराते क्यूँ हो
हर तरफ
म़ोत ही म़ोत
सिसकते लोग क्यूँ हो ,
मुझे बताओ तो जरा ,
भ्रस्टाचार,मारकाट ,बेईमानी,
आज हर तरफ
यह कलंक
क्यूँ लगाते हो
मुझे बताओ तो जरा,
धर्म और हमारे पुरखों ने
सिखाये थे
भाई चारा, सद्भावना के
कुछ आदर्श
उन्हें आज भुलाते क्यूँ हो
मुझे बताओ तो जरा,
कुर्सी की दोड में
आज खून बहाते हो
देश की एकता अखंडता को
दांव पर लगते हो
जय चंदों का
यह इतिहास
दोहराते क्यूँ हो
मुझे बताओ तो जरा ,
एक हम ही हे
पागल
आज के जहां में देखो
लोग हम से
पूंछते हें
क्यों तलाशते हो
खुशनुमा मंजर
रौशनी के लियें
चिराग जलाते क्यूँ हों ,
देखना दोस्तों
एक दिन
चारों तरफ
होगी खुश हाली और रौशनी
यह हालात तो
आते हें जाते हें
इन हालातों से तुम
घबराते क्यूँ हो।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. यह हालात तो
    आते हें जाते हें
    इन हालातों से तुम
    घबराते क्यूँ हो।

    bahut sundar baat kahi aapne...aabhaar

    .

    जवाब देंहटाएं

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