आपका-अख्तर खान

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23 सितंबर 2010

शुक्र हे खुदा का मुसीबत टली

दोस्तों खुदा का शुक्र हे के बाबरी मस्जिद और राम लला के मामले में आने वाले जिस फेसले से देश में एक घबराहट का माहोल था वोह सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद कम से कम २८ तक तो टल गया । इस फेसले के बाद सम्भावनाओं को तलाशने और बाद में उपजी स्थिति से निपटने के लियें देश के सुरक्षा व्यवस्था पर करोड़ों करोड़ रूपये खर्च हुए हें और देश थम कर रह गया हे , कहने को तो लोगों का आरोप हे के यह सब मीडिया का उठाया हुआ खेल हे , सरकार के बयानों का नतीजा हे लेकिन दोस्तों ऐसा नहीं हें चाहे हमारे नेता हों चाहे धर्माचार्य हों वोह मुंह मेर राम और बगल में छुरी रखते हें यही वजह हे के जो लोग अमन की बात करते हें वही बाद में पीछे से देश में अराकता फेलाने के प्रयासों में अव्वल रहते हें , हमारे कोटा में कल शहर के ज़िम्मेदार बुद्धिजीवियों की बैठक आयोजित की गयी थी बैठक में सभी धर्माचार्य और जनप्रतिनिधि मोजूद थे वहां सब एक मत थे के झगड़ा ना हो फेसला कुछ भी आये सब्र करें और फिर जो भी पक्ष हरे वोह अपील करे कानूनी तरीके अपनाए जो पक्ष जीते वोह खुशियाँ नहीं मनाये। बैठक में थोड़ी देर बाद ही विश्व हिन्दुपरिश्द के एक प्रतिनिधि ने जब साफ़ शब्दों में कहा के धर्म और इतिहास के मामले में अदालत का जो भी निर्णय धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्यों को निर्धारित करने वाला आएगा उसे हम हरगिज़ और हरगिज़ नहीं मानेंगे बस इन जनाब के इतना कहते ही शांति पूर्ण तरीके से चल रही एक एथ्क में हंगामा मच गया लोग हिन्दू मुस्लिम और हिन्दू मुलिम समर्थकों में बंट गये तो दोस्तों अराजकता फेलाने का यह बुद्धिजीवियों की बैठक का एक नजारा हे तो फिर देश में तो आज भी ६० फीसदी लोग निरक्षर बेठे हें उनके जज्बात से नेता और कथित धर्माचार्य खेलते रहे हें उन्हें दंगे फसादों में इस्तेमाल करते रहे हें इस लियें देश में केंद्र सरकार, प्रशासन और अदालत , मीडिया पर अराजकता का माहोल बनाने के आरोप लगाने की जगह अगर हम खुद हमारे गिरेबान में झांकेंगे तो जवाब साफ मिल जायेगा के हम कहते क्या हे करते क्या हें और चाहते क्या हें लेकिन दोसोतों आओं एक ऐसा माहोल बनाएं के मन्दिरों गूंजे अज़ान की आवाजें और मस्जिदों बजें आरती की घंटियां हिन्दू के दिलों में हो गीता के साथ साथ कुरान और मुसलमानों के दिलों में हों कुरान के साथ साथ गीता हमारे देश में ना कोई हिन्दू हो ना कोई हो मुसलमान बस जिधर देखें उधर नजर आयें इंसान ही इंसान । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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