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28 सितंबर 2010

फिर कल के लियें साँसें थम गयीं

एक रुका हुआ फेसला जिसे रोकने की सभी कोशिशें एक बार फिर नाकाम हो गयीं और इस फेसले को फिरस इ ३० सितम्बर को ३.३० बजे तक सुनाने का एलान क्या गया हे ,देश में इस फेसले का कोई असर हो या ना हो लेकिन फिर भी इस घोषणा और सम्भावित प्रतिक्रिया के डर से आम लोगों की साँसे थम गयी हें उनका दिन का चेन और रातों का आराम खत्म हो गया हे अनजाने खोफ से वोह परेशान हें एजुकेशन सिटी कोटा में भी यही हालात देखने को मिले हें यहाँ के लोग डरे सहमे इधर उधर भटक रहे हें लेकिन एक ताकत हे के वोह इन्हें लगातार हिम्मत दे रही हे यहाँ प्रशासन पूरी तरह सतर्क हे जबकि बुद्धिजीवी किसी भी समाजकंटक के मंसूबे फेल कर देने के प्रयासों में एक जुट हो गये हें लेकिन फिर भी तूफ़ान के पहले की इस खामोशी के पहले ही तूफ़ान रोकने के लियें अगर मिलेट्री का भी फ्लेग मार्च करवाकर उसे अलर्ट कर दिया जाए तो शायद बहुत कुछ अनहोनी को रोका जा सकेगा। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. देखिये क्या होता है...अभी तो ३० तारीख को भी टल जाने की ही ज्यादा उम्मीद है..विदेशी मेहमानों के सामने तांडव तो न करवायेंगे.

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