मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ग्रह जिले में डॉक्टरों की हड़ताल पर हाईकोर्ट की पाबंदी के बाद भी बिना किसी कारण के डोक्टर हडताल पर चले गये और हडताल इतनी बेरहम की ६ नजात शिशु और असंख्य मरीज़ तडपते रहे लेकिन डोक्टर हेवान से इंसान नहीं बने और नतीजा मुख्यमंत्री के गर जिले में ६ नवजात बच्चों की म़ोत का कलंक मुख्यमंत्री के सर मंड गया ।
डॉक्टरों की हडताल एक गम्भीर बात हे और उससे ज़्यादा क्षेत्रीय प्रशासन की ढिलाई हे जो वैकल्पिक व्यवस्था करने में असमर्थ रहती हे हडताल किल भी करत हें लेकिन कोई भी हड़ताल हो पर्दे के पीछे जेल में बंद लोगों को केसे ना केसे छुड़ाने की जुगत में वकील अवश्य लगे रहते हें डॉक्टर्स की तरह मरणासन्न मरीज़ को खुदा के भरोसे कभी भी नहीं छोड़ते , जोधपुर में मासूम बच्चों की अकाल म़ोत सरकार की उस लापरवाही की भी पोल खोलती हे जिसमें राजस्थान हाईकोर्ट ने एक वर्ष पहले सरकार को डॉक्टरों की हडताल रोकने इससे निपटने और कार्यवाही करने के लियें कानून नियम बनाने के निर्देह दिए तहे लेकिन एक तरफ जहां राजस्थान में स्वेन फ्ल्यू की महामारी हे वही दूसरी तरफ आवश्यक सेवाओं के नियमों के तहत पाबन्द डॉक्टर्स की हडताल अमानवीय और उनकी डिगरिया छिनने के लियें काफी हे जोधपुर की गूंज कोटा में भी सुनाई दी हे और यहाँ के चिकित्सक भी हडताल पर चले गये हें वरिष्ट चिकित्सक आज से हडताल पर जाने की योजना बना रहे हें कोटा में स्वेन फ्ल्यू से अब तक अध दर्जन लोगों की म़ोत हो गयी हे और मोसम के चलते हजारों लोग खांसी ज़ुकाम की चपेट में हे जबकि सेकड़ों लोगों के टेस्ट के बाद स्वाइन फ्ल्यू पोजेटिव आया हे ऐसी विकट परिस्थितियों में चिकित्सकों की हडताल उन्हें जानवर नहीं तो क्या कहने को मजबूर करती हें। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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