तूफ़ान का क्या हे
तूफ़ान की सदाओं से
तो हम घर बसायेंगे
तूफ़ान
दरिया में हो
या समुन्द्र में
हम तो
दरिया के किनारे ही
घर मनाएंगे।
तू मिले
या ना मिले
बस तुझे
पाने का ख्वं
हम अपनी
आँखों में
जरुर जायेंगे।
तेरे जो बेवफा
दोस्त हें
वोह तो हर साल
मोसों की तरह से
आयेंगे जायेंगे
बस हम ही हें
जो तेरे पास
केदी की तरह
ठहर जायेंगे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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