कोटा जेल में चिकित्सा अभाव में केदियों की अकाल म़ोत का सिलसिला लगातार जारी हे, राजस्थान में जेलों के प्रति सरकार की लापरवाही बजट का अभाव कुप्रबंध और अधिकारीयों पर राजनितिक दबाव के अलावा स्टाफ की कमी और सामाजिक भ्रस्टाचार के चलते जेलों में रोजमर्रा हिंसा,जेलर की हत्या ,आतंकवादियों को विदेश में बात करने की मोबाइल सुविधा, केदियों की जेल से भागने की घटनाएँ आम हें , लेकिन कोटा एक ऐसी जगह हें जहाँ जेल कुप्रबंध के चलते हर महीने एक दो केदियों की अकाल मोतें होती हें कोटा जेल का प्रबन्धन अच्छा हो इसके लियें राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग और राज्य मानवाधिकार आयोग ने कई बार हुमन रिलीफ सोसाइटी की शिकायत पर मुख्यसचिव और जेल अधिकारियों को पाबन्द किया हे लेकिन यहाँ केदियों की म़ोत थमने का नाम नहीं ले रही हे कल कोटा जेल में स्वस्थ हालत में भर्ती एक केडी इस्माइल की डोक्टर द्वारा वक्त पर नहीं देखने से म़ोत हो गयी और जेल प्रशासन तथा डोक्टर एक दुसरे को दोषी बता रहे हें म्रतक केदी के पुत्र का आरोप हे के उसके पिता को इलाज की कहने पर जेल में पिता गया और इसीलिए उसकी म़ोत हो गयी हे ।
कोटा सहित राजस्थान की जेलों में व्याप्त व्यवस्थाओं और सुधार के मामले में आज राजथान पत्रिका में पूर्व वरिष्ट पुलिस अधिकारी जो जेल के आई जी भी रहे हें उन्होंने एक रचनात्मक और सुझावात्मक लेख लिखा हे जो हर मामले में बिन्दुवार सभी समस्याओं के कारण और निवारण के पहलुओं को देख कर लिखा हे इसके लियें वोह बधाई के पात्र हें । इस लेख को लिखने वाले लेखक एस पी खडगावत कोटा में पुलिस अधीक्षक और आई जी कोटा रेंज रह चुके हें यह राजस्थान पुलिस में एक मात्र निर्भीक निष्पक्ष और हमेशा बिना राजनितिक प्रभाव के सच को उजागर करने वाले अधिकारी रहे हें इस लेख के लियें जनाब खडगावत साहब बधाई के पात्र हें ऐसे लेख वोह और लिख कर अगर जनता,पुलिस,जेल प्रशासन और केंद्र व् राजस्थान सरकार की आँखें खोलेंगे तब कहीं जाकर शायद इस राजस्थान कें जेल की व्यवस्थाएं सुधर पाएंगी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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