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15 सितंबर 2010

वसुंधरा के सम्मान में कानून का उल्न्न्घन कर हवाई फायरिंग

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा जी सिंधिया के राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद झालावाड पहुंचने पर उनका जबर्दस्त सम्मान हो रहा हे झालावाड की भाजपा इकाई क्रत्रिम भीड़ बता कर यह साबित करना चाहती हे के वसुंधरा के इयें झालावाड वासी आज भी पलक पांवड़े बिछा कर इन्तिज़ार कर रहे हें लेकिन इस उहा पोह में वोह और खुद वसुंधरा जनता और कानून की निगाह में एक जबर्दस्त अपराध कर बेठे हे । वसुंधरा के झालावाड पहुंचने पर झालावाड के मामू भांजे चोराहे पर उनके स्वागत में एक तरफ तो भीड़ उमड़ रही थी और दूसरी तरफ बन्दूकों से धडा धड फायरिंग कर ब्न्दुक्ची उनका स्वागत कर रहे थे , बन्दूकों का लाइसेंस था या नहीं यह तो नहीं पता लेकिन यह कानून हे के आर्म्स एक्ट कर तहत अगर लाइसेंस आत्मरक्षा के लियें प्राप्त क्या हे तो उसका इस तरह से सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं क्या जा सकता यह आर्म्स एक्ट का उल्न्न्घन हे और आर्म्स एक्ट में ऐसे उल्न्न्घन पर लाइसेस खारिज कर हथियार जब्त करने और दोषी लोगों के खिलाफ कार्यवाही का प्रावधान हे जबकि भारतीय दंड संहिता की धरा ३३६ करे तहत इसे दूसरों की जान को जोखिम में डालने वाला उपेक्षित कार्य का अपराध भी मन गया हे पुलिस अधिनियम और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १४४ के उल्न्न्घन का भी यह अपराध हे इस मामले में खुद वसुंधरा सिंधिया और समर्थक मूकदर्शक बने रहे और सब कार्यवाही उनकी उपस्थिति और जानकारी में हुआ और वोह भी बराबर के अपराधी हें लेकिन इस उपेक्षित कार्यवाही मामले में झालावाड का कानून कोई कार्यवाही नहीं करेगा क्योंकि राजनतिक पक्षपात का आरोप लगने का खतरा हे ऐसे में खुद वसुंधरा को अपनी भूल सुधारना चाहिए और जनता से इस गलती की माफ़ी माँगना चाहिए क्यूंकि उनका यह सम्मान सामंत वादिता काल की यद् दिलाता हे जो उनको राजनितिक नुकसान पहुंचाएगा , हेर कानून भी इस मामले में अपराध होने पर चुप हे कलेक्टर खामोश हे एस पी खामोश हे क्यूंकि कानून तो शायद गरीबों के लियें हें इन लोगों के लियें कानून नहीं बनाया गया हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. अख्तर खान साहब, अब यह ऐसी बात हो गयी है जिसपर सिर्फ हल्ला ही होता है कोई कार्रवाई नहीं होती. हर साल विशेषकर हिन्दीभाषी राज्यों में ऐसे जुलूस-प्रदर्शनों में और बरातों में गोलियां चलती हैं लेकिन लोग इन हरकतों से बाज नहीं आते. जब तक ऐसा करनेवाले कुछ साल के लिए सरकारी मेहमान नहीं बनाये जायेंगे तब तक यह चलता रहेगा. ये हिन्दुस्तान है जनाब, किसे परवाह है नियम कानूनों की?

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