तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 अगस्त 2010
इन्तिज़ार के बाद यह किया
बहुत इन्तिज़ार के बाद
चमन में आई हे बहार ,
मगरे हमें था इन्तिज़ार जिस बहार का
यह वोह बहार नहीं
यहाँ तो चमन में खिले हें फुल
हमें हे काँटों की जरूरत
हमें फूलों से प्यार नहीं
इतने इन्तिज़ार के बाद भी
आज कहते हें हम
जिसका था इन्तिज़ार शिद्दत से हमें
हाँ यह वोह बहार नहीं।
००० अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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