आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

11 अगस्त 2010

मुसाफिर तेरी मंजिल कहां हे

एक मुसाफिर
ट्रेन में सफर कर रहा था
टिकिट चेकर के आते ही
मुसाफिर ने टिकिट की तलाश शुरू की
कभी अटेची में तो कभी जेबों में
इधर उधर टिकिट की तलाश पर भी
जब टिकिट नहीं मिला
तो टिकिट चेकर ने कहा
छोड़ो भाई
आप सम्भ्रान्त दीखते हे
मान लेते हें आपके पास टिकिट हे
लेकिन नोजवान तो गुस्सा गया
बोला में तुम्हें टिकिट
तुम्हें दिखाने के लियें नहीं ढूंढता हूँ
टिकिट तो में इसलियें ढूंढ़ रहा हूँ
के मुझे यह तो पता लगे
के मुझे जाना कहाँ हे।
ट्रेन में बेठे दुसरे मुसाफिर
सोचने लगे के आज नोजवान का क्या भरोसा
उन्हें अपनी मंजिल का ही पता नहीं
और सफर पर सफर किये जा रहे हें सोचते हें
शायद इसीलियें मेरा भारत महान हो । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

3 टिप्‍पणियां:

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...