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01 अगस्त 2010

मुंशी प्रेम चंद

दोस्तों में जिस मुंशी जी की बात कर रहा हूँ वोह किसी दफ्तर में या वकील के यहाँ मुंशी का काम करने वाले नहीं थे वोह तो समाज का लेखा जोखा लिखने वाले जीवंत लेखक मुंशी थे , मुंशी प्रेमचन्द जिन्होंने साहित्य को नई विधा दी साहित्य में समाज की बुराइयों का विश्लेष्ण कर उसे समाज के सामने रखा और बुराइयों के खिलाफ एक ऐसा आन्दोलन छेड़ा जो एक समाजवाद का आन्दोलन कहलाया , समाज में छुपी बुराइयां जिनके खिलाफ किसी ने आवाज़ उठाने का साहस नहीं किया उस का चित्रं मुंशी प्रेमचन्द ने अपनी कहानियों में निर्भीकता से किया और इसी कारण उस डोर में अनेक जागीरदार लोग मुंशी प्रेमचन्द से घबरा गये थे , एक ऐसे जीवंत लेखक गरीबी की आवाज़ कुरीतियों में सुधार जिनकी धडकन थी आज चाहे हमारे बीच नहीं हो लेकिन उनकी लेखनी उनके विचार आज भी हमे चरों तरफ हें उन्होए बरसों पहले जो लिखा वोह आज भी समाज में कहीं ना कहीं प्रभावशाली तरीके से दिख रहा हे ऐसा लगता हे के प्रेमचन्द ने सब कुछ आज ही आज के हालातों की अक्कासी की हे , दोस्तों आज हम ऐसे जीवंत लेखक को जब तलाशने निकलते हें तो ना जाने क्यूँ कोसों लम्बा सफर करने के बाद भी ऐसी शख्सियत नहीं मिल पाती हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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