आपका-अख्तर खान

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24 अगस्त 2010

सोचते थे


सोचते थे
दुनिया
में किया
धरा हे
चलो
म़ोत को
गले लगा लें ,
लेकिन
तुझे
देखा हे
तब से
जिंदगी के
हम
तलबगार
हो गये।

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