तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
28 अगस्त 2010
राजीव गांधी की छात्र कोंग्रेस के साथ कोटा में धोका
कोंग्रेस के सिरमोर रहे और स्वर्गवास के बाद भी कोंग्रेस के सिरमोर बने स्वर्गीय राजीव गाँधी ने देश में छात्र संगठनों को मजबूत करने के लियें छात्र कोंग्रेस यानी ऍन एस यु आई का गठन किया था , और इस गठन के बाद देश भर में कोंग्रेस के इस अग्रिम सन्गठन का नाम प्रमुखता से लिया जाने लगा ,लेकिन अब जब कोटा में कोंग्रेस का बोलबाला हे यहाँ कोंग्रेस के तीन तीन मंत्री ,सांसद,विधायक,और नगर निगम की महापोर हे , कोटा में छात्र कोंग्रेस के भी वरिष्ट नेता मोजूद हें , कोटा में राजकीय महाविद्ध्यालय में इस बार छात्र कोंग्रेस ने शोएब कहां को चुनाव मदन में उतरा था छात्र कोंग्रेस के सत्येन्द्र मीना ,कुंदन यादव ,आबिद कागज़ी जी तोड़ मेहनत से इस उम्मीदवार को जिताने में लगे थे , लेकिन शोएब को मुसलमान होने के कारण कई कोंग्रेसी नाराज़ दिखे हालत यह रही की छात्र कोंग्रेस के इस प्रत्याक्षी के खिलाफ कोंग्रेस स्र्थित एक बागी को योजना बद्ध तरीके से खड़ा किया गया और कोंग्रेस के सभी नेता और वरिष्ट कोंग्रेसियों के समर्थित पूर्व छात्र नेता छात्र कोंग्रेस के प्रत्याक्षी शोएब कहां को धता बता कर खुल कर दुसरे प्रत्याक्षी का समर्थन करते दिखे इतना ही नहीं बागी निर्दलीय प्रत्याक्षी हरिकुमार जब जीत गये तो सभी कोंग्रेसी जो छात्र कोंग्रेस के अधिक्रत प्रत्याक्षी को केवल मुलिम होने के कारण पसंद नहीं कर रहे थे उन्होंने जीतने के बाद अखबार में कोंग्रेस के पदाधिकारियों के साथ फोटो के साथ विज्ञापन भी छपवाए , अब देखिये राजीव गांधी ने जो छात्र कोंग्रेस बनाई थी उसी छात्र कोंग्रेस का जब जीत का वक्त आया तो प्रत्याक्षी के केवल मुसलमान होने के कारण छद्म धर्म निरपेक्ष का मुखोटा ओदे कोंग्रेस नेताओं ने षड्यंत्र रच कर छात्र कोंग्रेस के अधिक्रत प्रत्याक्षी को हरा दिया और बेखोफ होकर बागी निर्दलीय प्रत्याक्षी के जीत के जश्न में शामिल हें उनकी इस गद्दारी को सब जानते हें और हाईकमान के सामने भी यह गद्दारी जग ज़ाहिर होने के बाद भी हाई कमान इन गद्दार कोंग्रेसियों के खिलाफ कोई कार्यवाही अम्ल में नहीं ला रहा हे बस कोंग्रेस की सोनिया और राहुल की यही अक्षमता कोंग्रेस को डुबोने के लियें काफी हे क्यूंकि वोह भी आज कल चापलूसों में घिर कर स्व्र्गिरी राजीव गाँधी के सिद्धांतों को भुला चुके हें और कोंग्रेस को मटियामेट हटा देख रहे हें लेकिन क्या करें भाई हम तो कोंग्रेस के परम्परागत वोटर हे जो कोंग्रेस को वोट देकर जिताते हें और फिर सरकार बनने पर पुरे पांच साल उपेक्षा और शोषण अत्याचार के शिकार रहते हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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