एक मरीज़ का
सर्दी के चलते
गले में खराश आने से
गला खराब हो गया
देसी भाषा में
कहो तो
गला बेठ गया
यह जनाब
एक डोक्टर के घर
खुद को दिखाने गये
घंटी बजाई
डोक्टर के घर का
दरवाज़ा खुला
उनकी पत्नी बाहर आई
गले बेठे मरीज़ ने
दबे गले से
धीरे से पूंछा
डोक्टर साहब हें किया
डोक्टर पत्नी फुसफुसाहट भरी
गले बेठे की आवाज़ से कन्फ्यूज़ हो गयीं
और दरवाज़ा खोल कर कहा
नहीं हे नहीं हे
चुप चाप आजाओ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
29 अगस्त 2010
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हा हा हा हा! शानदार! आखिर मरीज़ की कोई गलती नहीं थी! बेचारा गले में खराश होने के वजह से बोला और डॉक्टर की पत्नी कुछ और ही समझ बैठी! बहुत बढ़िया लगा!
जवाब देंहटाएंअख़्तर भाई
जवाब देंहटाएं:)
बहुत अच्छे !
कभी कभी बिना मांगे भी बहुत कुछ मिल जाता है …
हा हा ऽऽऽ …
मज़ेदार !
शानदार !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
भगवन जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है ...माजा आ गया ...
जवाब देंहटाएंhttp://thodamuskurakardekho.blogspot.com/
चुटकुले को अच्छा रूप दिया है कविता का...
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिभा काबिले-तारीफ़ है...
कोटा में मिलते हैं...
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंgram choupal me comment ke liye dhanyavad.
जवाब देंहटाएंहा हा!
जवाब देंहटाएं:-) :-) :-)
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