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29 अगस्त 2010

डोक्टर साहब नहीं हें आजाओ

एक मरीज़ का
सर्दी के चलते
गले में खराश आने से
गला खराब हो गया
देसी भाषा में
कहो तो
गला बेठ गया
यह जनाब
एक डोक्टर के घर
खुद को दिखाने गये
घंटी बजाई
डोक्टर के घर का
दरवाज़ा खुला
उनकी पत्नी बाहर आई
गले बेठे मरीज़ ने
दबे गले से
धीरे से पूंछा
डोक्टर साहब हें किया
डोक्टर पत्नी फुसफुसाहट भरी
गले बेठे की आवाज़ से कन्फ्यूज़ हो गयीं
और दरवाज़ा खोल कर कहा
नहीं हे नहीं हे
चुप चाप आजाओ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

8 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा हा हा! शानदार! आखिर मरीज़ की कोई गलती नहीं थी! बेचारा गले में खराश होने के वजह से बोला और डॉक्टर की पत्नी कुछ और ही समझ बैठी! बहुत बढ़िया लगा!

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  2. अख़्तर भाई
    :)
    बहुत अच्छे !
    कभी कभी बिना मांगे भी बहुत कुछ मिल जाता है …
    हा हा ऽऽऽ …
    मज़ेदार !
    शानदार !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    जवाब देंहटाएं
  3. भगवन जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है ...माजा आ गया ...


    http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  4. चुटकुले को अच्छा रूप दिया है कविता का...
    आपकी प्रतिभा काबिले-तारीफ़ है...

    कोटा में मिलते हैं...

    जवाब देंहटाएं
  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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