आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

16 अगस्त 2010

जयपुर में छात्रों के साथ मीडिया कर्मियों की पिटाई

आज़ादी के जश्न के तुरंत बाद दुसरे दिन जयपुर में जब छात्र अपने हक की मांग को लेकर रेली निकाल कर प्रदर्शन कर रहे थे तब अचानक पुलिस और छात्रों में झडप के बाद पुलिस ने छात्रों पर बेरहमी से लाठीवार किया उन्हें सडकों पर डोडा डोडा कर मारा पुलिस लाठी की चपेट में कई पत्रकार,कई राहगीर और कई नाबालिग छात्र भी आये , कहानी की मजेदारी यह रही के जब छात्रों को पुलिस जब दोडा दोडा कर मार रही थी तो कई छात्र गम्भीर घायल ह गये और जब इस बेरहमी की तस्वीर मीडिया कर्मी अपने अपने कमरों में केद करने में लगे थे तो पुलिस ने उन पर भी जमकर लाठियां भांजी , हालात यह रही की कई मीडिया कर्मियों के भी चोटें आई हें , मीडिया कर्मियों पर पुलिस हमले को मीडिया कर्मियों ने गम्भीरता से लिया और तुरंत दोषी पुलिस कर्मियों की बर्खास्तगी की मांग को लेकर वहीं सडक पर धरने पर बेठ गये इतना ही नहीं अपनी मांगों के समर्थन में मीडिया कर्मियों ने जाम भी किया , मीडियाकर्मियों को मिल रहे इस समर्थन से सरकार और पुलिस अधिकारी भी घबरा गये ।
लेकिन बेचारे मिडिया करी तो ठहरे देहादी मजदूर उनका कोई धनी धोरी नहीं पुलिस कर्मियों ने पहले तो मीडिया कर्मियों को समझाया ऑफ़ फिर जब वोह अपनी मांग पर अड़े रहे तो फिर सरकार के नुमाइंदों ने अपनी अक्ल और प्रभाव का इस्स्तेमा कर अखबार और चेनल मालिकों को फोन घुमाया हालात ऐसे बने के बचाए देहादी मजदूर की जिंदगी जी रहे मीडिया कर्मियों को बिना अपनी मांग मनवाए हटना पढ़ा वोह बेरहमी से पिटे उनके आहन टूटे उन्हें भी भगा भगा कर मारा जिन मालिकों के लियें वोह रिपोर्टिंग करने गये थे उन्होंने ही वीटो जारी कर अपने अपने नोकर मीडिया कर्मियों को सख्ती से हट जाने को कहा बेचारे मरते क्या नहीं करते सब को पेट पालना हे नोकरी चलाना हे सो भीगी बिल्ली की तरह से चुप चाप चल दिए हद तो यह हे के आज कल की इस दरिंदगी की घटना की खबर तक कई अखबारों से गायब हे और पत्रकारों को निशाना बना कर पीटने वाले पुलिस कर्मी आज भी पत्रकारों की तरफ शरारती मुस्कान से कह रहे हे के लो देख लो हम तो जहां के जहां हे तुम ने हमारा क्या कर लिया अब सरकार थोड़ी बहुत लिपा पोती और दिखावटी कार्यवाही कर कुछ पत्रकार संगठनों की दूकान चलाने के लियें मामूली सी कार्यवाही की सोच रही हे लेकिन यह घटना पत्रकारिता और संघर्ष के इतिहास को कलंकित कर देने वाली हे और एक बात साफ़ हो गयी हे के मीडिया के मालिक व्यवसायिक हें उन्हें पत्रकारों के मान सम्मान से कुछ लेना देना नहीं और यह लोग पत्रकारों को पत्रकार नहीं इशारों पर नाचने वाला एक गुलाम समझते हें लेकिन इन मालिकों को पता नहीं के हर हालात में कोई ना कोई भगत सिंह , चन्द्र शेखर भी पैदा होता हे और अब पत्रकारिता के क्षेत्र में भी कोई तो पैदा होगा ही जो मालिकों और सरकार के इन दमन कारी नीतियों का मुंह तोड़ जवाब देकर पत्रकारिता की गरिमा को पुनर्जीवित करेगा। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...