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24 अगस्त 2010

दबे पाँव गम को आने ना दूंगा


यूँ मदहोश सा
नींद में में पढ़ा हूँ
ख़्वाब मिलन के
उससे मेने देखें हें
इसी ख़ुशी में
होले से
दबे पाँव दर्द
देखो घुसने
की कोशिश में हे
बिना दस्तक दिए
फिर से यह दर्द
आना चाहता हे
मेरी जिंदगी में
लेकिन
में भी अब पहरेदार हूँ
गम को
हरगिज़ ना घुसने दूंगा
यूँ दबे पाँव
मेरी जिंदगी में
वोह देखों
मिलन की
आस पूरी हुई मेरी
सच हुए सपने
वोह देखो दर्द को देखो
दबे पाँव जो
कोशिश में था
मेरी जिंदगी में आने को
अब वही दर्द
बे आबरू होकर
मेरी जिंदगी से
चला जाता हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. vah vah vah.............bahut khoob..........isi tarah dard ko nikal fenkna chaiye.

    जवाब देंहटाएं
  2. Wah wah khan sahb dard ko dabe paon na ghusne deejiye kabhi bhee. Ishwar kare aapke sapne sab such hon.
    sunder rachna ke liye badhaee.

    जवाब देंहटाएं

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