वोह भी क्या वक्त था
जब मिले अजनबी बनके
जिंदगी के सफर में ,
यादों के उन लम्हों को
हम हरगिज़ मिटने ना देंगे
याद रखना अगर फितरत हे तुम्हारी
तो वादा हे तुमसे
हम भी तुमसे खुद को
कभी भूलने ना देंगे ,
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
17 अगस्त 2010
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अच्छी रचना बधाई
जवाब देंहटाएंयादें अनमोल होती हैं. जीवन में बस यादों का सहारा है.
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