शमा तू
जलती क्यूँ हे
बस इतना राज़
तो बता,
तुने अन गिनत
परवाने क्यूँ जलाए
इस मामले में
कोण हे तेरा
हमराज़ यह तो बता,
यह तेरा
गुरुर नहीं
तो क्या हे
हंसता खेलता इठलाता
जिंदगी की कशिश में
जब भी आता हे
परवाना तेरे पास
तू उसे
सिर्फ और सिर्फ
देती हे म़ोत की सजा ,
तू जल कर भी
न बता सकी
इस राज़ को
इसके पीछे क्या राज़ हे
यह तो बता .................................
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
20 अगस्त 2010
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बहुत बढ़िया रचना....
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