तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
24 जुलाई 2010
अब अगस्त तक महंगाई कम करने की मत कहना
हमारे देश के प्रधानमन्त्री जी अमेरिका से न्य पाठ पढ़ कर आये हें उन्होंने कल मुख्यमंत्रियों के समक्ष घोषणा की हे के अगस्त तक महंगाई कम होगी तब तक के लियें उनके इस कथन में खामोशी का इज़हार छुपा हे , डोक्टर मनमोहन सिंह जो गनितिग्य , अर्थशास्त्री हे और देश के एक वक्त के आर्थिक सुधारों के जनक माने गये थे लेकिन आज यही मनमोहन देश में नर्क के जनक हें और आज देश में त्राहि त्राहि का कारण यही माननीय मनमोहन जी हे इन्होने अपना दिमाग गिरवी रख दिया हे इनका रिमोट कहीं और इनको मिलते हें निर्देश कहीं और से यही वजह हे के मनमोहन खिचड़ी बन गये हें इनका मूल दिमाग तो काम नहीं कर रहा और दुसरे दिमागों के हुक्म के गुलाम बन कर यह देश को गर्क में धकेल रहे हें गरीब मर रहे हे जरूरत की चीजें बाज़ार से गायब हें आर्थिक सुधारों के नाम पर व्यापारियों कालाबाजारियों की पो बारह हे ऐसे में सिसकत गरीबों और मध्यम वर्गीय लोगों से मनमोहन का कथन के दिसम्बर तक तो महंगाई रहेगी आग फिर कुछ हो सकेगा निराशा और हताशा पैदा करने वाला हे जबकि वायदा व्यापारियों,जमाखोरों , कालाबाजारियों की इस ब्यान से एक बार फिर बल्ले बल्ले हे ऐसा लगता हे के महंगाई बढाने के लियें इन लोगों ने दिसम्बर तक का तो किराया मनमोहन जी को दे ही दिया हे इसीलियें दिसम्बर के पहले मनमोहन कोई सुधार करना नहीं चाहते अब तो भाई दिसम्बर तक तो रुकना ही पढ़ेगा। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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