आपका-अख्तर खान

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31 जुलाई 2010

दिल तो मिलते नहीं हाथ मिलाते क्यूँ हो

दिल तो मिलते नहीं
हाथ मिलाते क्यूँ हो
दोस्तों दुनिया की यह रस्म
निभाते क्यूँ हो ।
जी हां दोस्तों यह सच्चाई हे के भारत पाक के रिश्तों की तरह हम देनिक जीवन में भी ऐसे कई रिश्तों को ढो रहे हें हम जिनसे बात करना पसंद नहीं करते मजबूरी में दुनिया दिखावे के लियें हमें उनसे स्माइल प्लीज़ यानी हंस कर बात करना पढ़ रही हे , इसी लियें आज के दिन को फ्रेंड शिप दिवस के रूप में घोषित किया गया हे इसका मकसद केवल एक दुसरे से एक दुसरे के प्रति विश्वास पैदा करना हे और जो लोग एक दुसरे के नजदीक हे और भरोसे का रिश्ता रखते हें आज वही लोग एक दुसर के खिलाफ कहीं ना कहीं षडयत्र रचने के दोषी होते हें तो दोस्तों दोस्ती ओई राह चलते मिलने वाले चीज़ नहीं यह तो नसीब वालों को मिलती हे फ़िल्मी गाना यह दोस्ती नहीं छोड़ेंगे वाली लेने अब आज के युग में हवा हो गयीं हें भागम भाग की इस जिंदगी में आज भाई भाई का सगा नहीं हे तो दोस्त खान से मिलेगा हाल ही में हमारे कोटा में एक माह के अंतराल में आधा दर्जन से भी अधिक वारदातें ऐसी हुई हें जिसमें दोस्त ही दोस्त का हत्यारा निकला हत्या के पीछे या तो पत्नी प्रेम या फिर सम्पत्ति विवाद हे ऐसे में इस देश में जब विदेशी संस्क्रती से अंगीकार कर फ्रेंडशिप डे बनाया जाता हे तो स्थिति हास्यास्पद सी हो जाती हे मुंह में राम बगल में छुरी वाली कहावत वाले दोस्त आजकल ज्यादा हे लेकिन दोस्तों फिर भी कुछ लोग हें जिनकी दोस्ती आज भी मिसाल हे और दोस्ती का यह चमत्कार सिर्फ और सिर्फ हमारे देश हमारे भारत में ही हो सकता हे यहाँ आज भी दोस्तों की कई ऐसी जोदिया हें जो वर्षों से बिना किसी लोभ लालच के एक सादत रह रहे हें ऐसे में में मेरे दोस्त आबिद अब्बासी एडवोकेट का ज़िक्र जरुर करूंगा , हमारी मुलाक़ात दसवीं किआस में हुई फिर हम स्कुल , कोलेज में साथ रहे साथ साथ एम ऐ , साथ साथ एल एल बी किया , साथ साथ पत्रकारिता का कोर्स किया अब साथ आबिद अख्तर एसोसियेट के नाम से वकालत करते हें आप को ताज्जुब होगा के हमारे विचार नहीं मिलते हमारे विरोधाभासी विहारों के बाद भी हम एक हे हम स्वस्थ बहस करते हें और वाजिब बात मानते हें लोग सोचते हें के हम डिस्कस नहीं लड़ रहे हें वोह सोचते हें के शायद यह इनकी दोस्ती का आखरी दिन हे लेकिन थोड़ी देर बाद जब वोह खामोश दोनों को देखते हें तो भोच्क्के रह जाते हें हालत यह बन गये हें के मेरे ओसत आपिद भाई के हाथ में दर्द होगा तो मेरे हाथ एन दर्द होगा मेरी बच्ची के लगेगी तो उनकी बच्ची के लगेगी मेरी पत्नी के पाँव में लगेगी तो उनकी पत्नी के पाँव में लगेगी हम रोज़ आपस में सिद्धांतो के नाम पर लड़ते हें राजनितिक विरोधाभासीविचार हें उनके ससुर इब्राहिम कुरैशी जो मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री और फिर लगातार १२ साल तक अल्पसंख्यक आयोग के केबिनेट मिनिस्टर दर्जे के चेयरमेन रहे हें मेरे ससुर मोहम्मद उम्र टोंक में नवाब खानदान से होने से साहिबजादा हे लेकिन दोनों के ससुर की खासियत हे के शादी के इतना वक्त गुजरने पर भी उनके और मेरे ससुर को अक्सर हमारे नाम याद नहीं रहते हें उनके ससुर उनका नाम भूल जाते हें तो मेरे ससुर भी मेरा नाम भूल जाते हें तो दोस्तों यह कुदरत की बात हे के अब हमारी दूसरी पीडी उनकी बचिया और मेरी बच्चिया जवेरिया फरहीन और सदफ इन्जिला की जोड़ी दोस्ती के रूप में स्कुल में गिनी जा रही हे शायद इसी का नाम दोस्ती हे जो एक दुसरे की बर्दाश्त करें , एक दुसरे का भला करें , एक दुसरे के लियें त्याग करें अच्छा सोचें क्रोद्ध त्यागें और नफा नुकसान का ध्यान नहीं रखें शायद यही फार्मूला लम्बी दोस्ती का हे मेरी आपस गुज़ारिश हे के आप दुआ करें हमारी दोस्ती के लिए आज इस फ्रेंड शिप दिन के दिन के हमारी दोस्ती हमेशा के लियें अमर अजर और इसाल रहे आज हालत यह हे की कोसों दूर बेठ कर वोह किसी सवाल का जवाब जो सोचते हें वही जवाब मेरी जुबां पर होता हे और इसी टेलीपेथी पर हमारे कुछ कोमन फ्रेंड आज भी फ़िदा हे के इतना झगड़ने वाले लोग और इतनी बेहतरीन दोस्ती । अख्तर खान अकेला कटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. खान साहब सच्चे दोस्त किस्मत वालों को ही मिलते हैं और जिन्हें मिलते हैं उनके लिए हर दिन एक मित्रता दिवस होता है. ऊपर वाला आपकी मित्रता को उम्र भर बनाये रखे.

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