तन कर
जो पेड
कल खड़ा था ,
आज देखो
वोह जमीन
पर पढ़ा हे ।
शायद उसे
आँधियों
के झोंकों
का अंदाजा न था।
जनाब यह फलसफा के जो भी अकड़ा हे कल हवा के जरा से झोंके से जमीन पर चारों खाने चित पढ़ा हे और जो लचीला रहा हे उसे आंधियां भी सारी कोशिशों के बाद छु नहीं सकती हे , आज कोंग्रेस का हमारे देश में यही हाल हे वोह एक तने हुए पढ़ तने हुए ठुठ की तरह देश में खड़ा हे लेकिन उसे जनता जनार्दन की आंधी के झोकों का अंदाजा नहीं इंशा अल्लाह अगर जनता के साथ सख्ती का कोंग्रेस का यही हाल रहा तो कल कोंग्रेस का भी तने हुए पढ़ की तरह हाल होगा और वोह जनता के सामने अमिन पर पढ़ी होगी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
13 जुलाई 2010
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बिल्कुल सही कहा अख्तर साहेब्…………………ये ही होना भी चाहिये।
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