आपका-अख्तर खान

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25 जुलाई 2010

जिंदगी से शिकवा

जिंदगी से तो शिकायत रही
जिंदगी भर
मोत तू भी तो
बेवफा हे
तुने भी
जिंदगी भर
तरसाया हे ।
.............तुम भूलोगे नहीं ............
तुम हमें
याद करो
ऐसा हममे
कुछ नहीं
तुम भूल जाओ
हमें
ऐसी तुम्हारी
फितरत नहीं।
.......................दोजक खुदा की ............
खुदा ने
दोजक भी तो
बनाई हे
किसी उमीद से
दोजक ना भरी
तो
खुदा कितना
निराश होगा
बस यही सोचकर
गुनाह
किये जा रहा हूँ में ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजथान

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