माना की हम
इतने स्वीट नहीं
के डाईबिटिज़ हो जाए,
माना के हम इतने
नमकीन नहीं
के बीपी हो जाए,
लेकिन इतने
बुरे भी नहीं
के आपकी
तिप्प्निया ना आयें।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
04 जुलाई 2010
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लो जी ढोकला जी(मीठे भी और नमकीन भी), अपनी टिप्पणी संभालो।
जवाब देंहटाएंआप मीठे भी हैं, नमकीन भी हैं, बस ये टिप्पणी सही तरफ़ से लिखें तो और भी जायकेदार हो जायेंगे।
हा हा हा, तरफ़ को तरह पढ़ियेगा, हम भी गलती कर गये।
जवाब देंहटाएंवैसे ये काम जानबूझकर किया है, टिप्पणी को टिप्पणियां बनाने के लिये।
अब आपको शिकायत का कोई हक नहीं है।