अमीरों का इस देश में
काम हो जाए
गरीबी खत्म हो
महंगाई आम हो जाए
हुक्म चले अमेरिका का
मनमोहन का इसमें नाम हो जाए
भूख मरी अब शायद
ना रहे देश में
भूखों को सलाम हो जाए
कुछ हो देश में ऐसा
गरीबों का
रहना यहा हराम हो जाए
महंगाई बढाने वालो
तुम अब अपनी सोचो
देश में कहीं कोहराम ना हो जाए।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
04 जुलाई 2010
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बहुत सही!!
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