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16 जुलाई 2010

क्रप्या इसे जरुर पढ़ें ! २२ जुलाई को राष्ट्रीय ध्वज दिवस बनाएं

दोस्तों आपको जो पहले से पता हे और जिसे देश भूल गया हे एक बार फिर में आपको बताने की गुस्ताखी कर रहा हूँ अच्छा लगे तो शाबाशी देना बुरा लगे तो गाली लेकिन भाई कुछ ना कुछ जरुर देना , अगर कुछ ना देस सको तो जो लिखा हे उसे आम जनता तक तो महरबानी करके जरुर पहुंचा देना। आपको याद हे के २२ जुलाई १९४७ को देश के राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगे के प्रारूप को संविधान सभा में स्वीक्रति मिली थी और इसी लियें देश में हर वर्ष २२ जुलाई को राष्ट्रीय ध्वज दिवस मनाने का संकल्प हे जिसे स्कूलों,संस्थाओं ,राजनेतिक प्रार्टियों , खुद न्यायिक और अभिभाषक संस्थाओं में नहीं मनाया जाता हे सब जानते हे के हमारा देश १५ अगस्त को आज़ाद हुआ हमारा एक झंडा हे जो तिरंगा हे लेकिन इसका सम्मान क्या हे अहमियत किया हे नियम कायदे कानून किया हे किसी आम आदमी को पता नहीं हे जिसके लियें में सो फीसदी और कुछ कुछ आप भी ज़िम्मेदार हें। दोस्तों २२ जुलाई १९४७ को तिरंगे का प्रारूप डोक्टर राधाकृष्ण ने संविधान सभा के समक्ष पेश किया जिसका सर्वसम्मती से अनुमोदन कर इसे देश भर में लागू कर दिया गया तिरंगे की परिकल्पना में भगवा सेफ्रों कलर , सफेद और हरा कलर जिसके बीच में २४ तीलियों में अशोक्च्क्र हे । सेफ्रों रंग देश की एकता अखंडता विकास के प्रति समर्पण को इंगित करता हे सफेद रंग देश भर में रौशनी उजाला सत्य की राह पर चलने का मार्गदर्शन देता हे हरा रंग प्रथ्वी से जुड़ाव और हरे पेड़ों से लगाव की सिख देता हे राष्ट्रीय ध्वज के मध्य अशोक्च्क्र धर्म और सत्य की राह पर चलने की सिख देता ह जबकि २४ तीलियों का चक्र विकास के चक्र को हमेशा चलते रहना इंगित करता हे । दोस्तों तिरंगा स्कूलों,भवनों, कारों,जहाजों,ह्वैझाजों पर केसे लगाया जाएगा ध्वज कितना बढा होगा इसका कानून बना हे राष्ट्रीय ध्वज के कपड़े,बनियान,और किसी भी विज्ञापन या उत्पादन में इसका इस्तेमाल नहीं होगा इसका सभी देश वासी सम्मान करेंगे। इसे रोकने के लियें देश में प्र्वेंष्ण ऑफ़ नेशनल ओंर एक्ट १९७१,एम्ब्लेम्स एंड नेम्स प्रवेंष्ण ऑफ़ इमप्रोपर यूज़ एक्ट १९५०, और ध्वज संहिता २००२ बनी हे जिसके उल्न्न्घं पर दंड का प्रावधान हे ,नई संशोधित ध्वज संहिता देश में २६ जनवरी २००२ को लागू की गयी , राष्ट्रीय ध्वज गणतन्त्र दिवस, स्वतन्त्रता दिवस, गांधी जयंती और राष्ट्रीय सप्ताह जो ६ से १३ अप्रेल तक देश भर में जलिया वाला नरसंहार की याद में मनाया जाता हे तब इसे फेह्राने की छुट हे लेकिन विधि नियमों की पाबंदी के साथ , दोस्तों कहने को तो कानून बहुत लम्बा हे लेकिन आप देखते होंगे आज ध्वज को नियमों के खिलाफ कभी विज्ञापनों में तो कभी किसी कम्पनी या व्यापारी के प्रचार में खूब इस्तेमाल किया जाता हे साथ हे बच्चों को विधि विरुद्ध बनी प्लास्टिक की झंडियाँ पकड़ा कर स्कूलों में बुलाया जाता हे जो देश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान हे इसी लियें वर्ष में केवल एक दिन ध्वज संहिता के प्रति ध्वज दिवस पर २२ जुलाई को सभी स्थानों पर सरकार और गेर सरकारी संगठन ,निजी स्कुल संस्थान , राजनेतिक पार्टियां, निजी और सरकारी स्कुल कार्यक्रम आयोजित कर ध्वज संहिता और कानून के प्रति जनता और बच्चों को जागरूक करें साक्षर करें तो देश में जाने अनजाने में होने वाल ध्वज के अपमान को रोका जा सकता हे और देश के बिगड़े लोगों में राष्ट्रीयता को भावना का विकास हो सकता हे , बोलो दोस्तों इस काम में मेरी मदद करोगे अगर हाँ तो धन्यवान अगर ना तो धन्यवाद और अगर तटस्थता तो धन्यवाद। जय रास्ट्रीय ध्वज दिवस , जय भारत , जय हिंद , जय जवान जय किसान ,मुझे इतना लम्बा झेलने के लियें शुक्रिया । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी आमद का शुक्रिया!!क़ौमी परचम की बाबत आपने जो भी बातें बताईं वो क़ाबिलेग़ौर हैं...

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  2. bahut sundar post. aapke jazbaat kabile tareef hain !

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