तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे?
गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
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18 जुलाई 2010
जानता हूँ
जानता हूँ मुझ में कुछ ख़ास नहीं जानता हूँ मुझ से किसी को मोहब्बत नहीं जानता हूँ में किसी को पसंद नहीं जानता हूँ मेरे पास कोई न आयेगा मेरा भरोसा देखो फिर भी दरवाज़े पर मेंरे उम्मीद की शमा जला कर में बेठा हूँ । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)
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