तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
16 जुलाई 2010
फास्ट ट्रेक कोर्टों की उम्र बढ़ाई
देश भर में मुकदमों के त्वरित निस्तारण के लियें तरित मामला निस्तारण अदालतों का गठन कर १५६२ फास्ट ट्रेक कोर्ट खोली गयी थीं और इसके बाद देश भर में जब इन कोर्टों ने काम शुरू किया तो कुछ अच्छे तो कुछ बुरे नतीजे सामें आये , फास्ट ट्रेक कोर्ट गठन के पीछे सरकार की तो अच्छी नियत थी लेकिन हाईकोर्ट प्रशासन और सरकार के बीच तालमेल और विधिक निगरानी नहीं होने से कई स्थानों पर नतीजे सही नहीं रहे , जल्दी मुकदमों का निस्तारण अच्छी बात हे लेकिन मुकदमों के निस्तारण में यदि गुणवत्ता नहीं हो तो फिर न्याय का कुछ मजा नहीं रहता उलटे मजाक बन जाता हे , फास्ट ट्रेक कोर्ट में सभी मुकदमें सेशन ट्रायल के सुने जाते हें जिसमें म्रत्यु दंड तक देने का प्रावधान हे फिर भी इन अदालतों में जज नहीं बलके मजिस्ट्रेट यानी मुख्य या अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेटों के स्तर के अधिकारियों को तदर्थ नियुक्त किया हे अब सब जानते हें एक मजिस्ट्रेट लेवल के आदमी से जज के स्तर के फेसले की उम्मीद करें तो क्या यह इन लोगों के साथ इन्साफ होगा उनका अनुभव उनका अध्ययन तो मजिस्ट्रेट प्रकरण निस्तारण का हे फिर अचानक फास्ट ट्रेक का काम मिलने से जब उनके सामने म्रत्यु दंड जेसे प्रकरणों की सुनवाई आती हे तो उनका क्या हाल होगा और न्यायिक परिणाम किया होंगे सोचने की बात हे हाल ही में राजस्थान में आर एच जे एस यानि अतिरिक्त जिला जज की लिखित परीक्षाएं हुईं जिसमें राजस्थान के कई फास्ट ट्रेक जजों ने परीक्षा देकर सब को चोंका दिया हे के जिन्हें जज समझा जाता रहा हे वोह मूल तो मजिस्ट्रेट हें और विधिक प्रमोशन के लियें उन्हें अभी कई प्रक्रियाओं से गुजरना हे तो जनाब फास्ट ट्रेक कोर्ट और एक मूल रूप से अनुभवी जज के फेसले और सुनवाई का स्तर आप खुद देखे तो बात साफ़ हो जायेगी हारा मानना हे फास्ट ट्रेक कोर्ट खोलना सही हे लेकिन इन में पीठासीन अधिकारी अगर जज लेवल के लोगों को बिठाया जाए तो फेसलों की गुणवत्ता से देश में मुकदमों का बोझ काफी कम होगा । हाल ही में फास्ट ट्रेक कोर्ट का समय खत्म होने जा रहा था जो केंद्र सरकार ने बढा कर मार्च २०११ तक कर दिया हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
पाल गैस त्रासदी मामले में तो सुप्रीम कोर्ट के जज तक संदेह के घेरे में हैं. फास्ट ट्रेक जजों की क्या बिसात.
जवाब देंहटाएं