वोह देखो उधर देखो
बीच सडक पर फटेहाल
एक बच्चा जो जमीन में घिसट कर
लोगों से भिक मांग रहा हे
हाँ वही मेरे देश का बचपन हे ।
वोह देखो उधर देखो
एक होटल पर मासूम सा बच्चा
मुन्ने से हाथों से जो कढाई रगड़ रहा हे
हाँ वही मेरे देश का बचपन हे ।
वोह देखो उधर देखो
एक बच्चा जो डोरी पर चल रहा हे
दुसरा बच्चा जो जमूरा जमूरा कह रहा हे
तीसरा बच्चा जो थाली लेकर
रूपये समेट रहा हे
हां वही मेरे देश का बचपन हे ।
वोह देखो उधर देखो
एक बच्चा जो अखवार बांट रहा हे
दुसरा कार पर कपड़ा मार रहा हे
तीसरा बूंट पोलिश कर रहा हे
हां वही मेरे देश का बचपन हे ।
वोह देखो उधर देखो
एक बच्चा जो खुद के वजन से ज़्यादा
झुका लडखडाता किताबों का
बस्ता लिए चल रहा हे
हाँ वही मेरे देश का बचपन हे ।
वोह देखो उधर देखो
कम्पीटीशन की दोड में
कोई डोक्टर,कोई आई आई टी , कोई एम बी ऐ
विदेश में जाने के लियें
जुगत लगा रहा हे
हां वही मेरे देश का बचपन हे
वोह देखो एक बच्चा
जो फटेहाल
अपनी माँ के आंचल में
भूख से बिलख रहा हे
हां वही मेरे देश का बचपन हे ।
वोह देखो उधर देखो
एक शराबी से बीच सडक पर
जो बच्चा स्कुल की फ़ीस मांगने पर
अपने बाप से पिट रहा हे
हाँ वही मेरे देश का बचपन हे ।
वोह देखो उधर देखो
हजारों बच्चे जो भूखे प्यासे
कतार में स्कुल मालिकों के कहने पर
कई घंटों से वी आई पी की प्रतीक्षा में खड़े हें
हाँ वही मेरे देश का बचपन हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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