आपका-अख्तर खान

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24 जून 2010

राजनीति के भाई साहब केसे केसे

दोस्तों हमारे पडोस में एक जनाब रहते हें वोह चुनाव के पहले से ही उठते बैठते सोते चलते फिरते अपने राजनितिक भाई साहब नेता जी के ही गुण गान करते रहते हें जब भी नेताजी बाहर से आयें आंधी हो चाहे तूफ़ान हो सर्दी हो चाहे गर्मी हो घर में कोई मेहमान हो या माँ बाप बेटे पत्नी बीमार हो लेकिन उनके लियें दवा वगेरा चाहे नहीं लाये बीएस नेता जी को स्टेशन पर लाने और लेजाने का काम वोह जरुर करते रहे हें वोह मोहल्ले में नेताजी से उनकी वफादारी और नेताजी की उन पर मेहरबानी के किस्से सभी को सुनाते थे चुनाव की घोषणा हुई उन्होंने मुझे भी नेताजी से मिलाया मेने देस्खा जो भी नेताजी से मिलता उसे वोह पुरानी जान पहचान का हवाला देते और अपना मोबाइल नोम्ब्र यह कहते हुए जरुर देते के आप मुझे जिताव मेरे हाथ मजबूत करो में अगर जित गया और मंत्री बन गया तो बीएस आप का कोई भी काम एक फोन पर ही कर दिया करूंगा । आप यकीन मानिए नेता जी की यह अदा लोगों को पसंद आई और जनता ने जी जान से लग कर नेता जी को जीता दिया नेता जी सरकार में मंत्री बन गये भीड़ में घंटों इन्तिज़ार के बाद हमारे पड़ोसी जो नेताजी का गुणगान करते थे उन्होंने उन्हें माला पहनाई , फिर समस्याओं और शिकायतों का दूर हुआ लोग नेताजी द्वारा दिए गये नम्बर पर उन्हें फोन करते साहब बाथरूम में हें मीटिंग में हें इसकी आवाज़ के अलावा कुछ दूसरी आवाज़ सुनाई नहीं देती जो लोग नेताजी के चुनाव में दुश्मन थे अंदर से भितरघात कर रहे थे उनके जीतते ही नेताजी के चमचा नम्बर वन हो गये हमारे पड़ोसी जिन्होंने गरीबी के हालत में भी कुर्बानियां देकर नेता जी के लियें काम किया आज भी वोह नेताजी को लेने छोड़ने ट्रेन पर जाते हें लेकिन भीड़ में वोह सबसे पीछे नजर आते हें बीएस बेचारे नेताजी के दर्शन कर के ही धनी हो रहे हें सरकार को दो साल हो गये लेकिन हमारे पड़ोसी साहब हें के घर फूंक तमाशा राजनीति के भाई साहब का इसलियें देख रहे हें के शायद नेताजी मेहरबान हो जाएँ और उनकी राजनीति में पहचान बन जाए वोह यह सब सोच रहे थे के उन्होंने एक पढ़े लिखे काबिल बूढ़े से राजनितिक पार्टी के समर्पित व्यक्ति को देखा जिसने अपना जीवन नेताजी और पार्टी के लियें हवन कर दिया लेकिन बीएस वोह सन्गठन में आने जाने के ही नाम के रह गये हें उन्हें देख कर हमारे पड़ोसी भाई साहब की आँखों में खुद का भविष्य देख कर आंसू आ गये तो जनाब ऐसे हें हमारे पड़ोसी जनाब के राजनितिक भाई साहब। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. आदमी पहचानना आज की सबसे बड़ी चुनौती है और उस में से नेता की जात.

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