आपका-अख्तर खान

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10 जून 2010

अवकाश प्रार्थना पत्र

दोस्तों भाइयों अभी में एक दो ब्लॉग और ही लिख पाउँगा फिर कमसे कम ५ दिन की छुट्टी पर जाने की सोच रहा हूँ में जानता हूँ इन दिनों आप भाइयों को मेरी कोरी बकवासों से मुक्ति मिलेगी लेकिन में तो भाई आप लोगों को खूब याद करूंगा क्योंकि आवश्यक काम आजाने के कारण में ४ दिन आप भाइयों से नाता तोड़ कर केसे रह पाउँगा में समझ नहीं पा रहा हूँ सोचता हूँ के आखिर ऐसा क्या हे इस ब्लोगर दुनिया में जो एक बार इसमें घुसने के बाद बाहर निकलने का रास्ता नजर नहीं आता वोह बात अलग हे के इस ब्लोगर दुनिया में कही घटा टॉप अन्धेरा तो कहीं सियाह राते हें कहीं जहरीले नाग तो कहीं नाग मणि हे कहीं प्यार हे तो कहीं तकरार हे कहीं अपना पं हे तो कहीं साम्प्रदायिक वैमनस्यता हे कहीं रौशनी हे तो कहीं मधुर वाणियां कही सिख हे तो कहीं बिगाड़ देने की हुंकार हे कुल मिला कर इस छोटी सी दुनिया में अपने पराये, दोस्त दुश्मन हिन्दू मुस्लिम आमिर गरीब छोटा बढा सुखी दुखी सभी तरह के लोग हें में भी इनमे से एक हूँ में किस श्रेणी में हूँ यह तो उझे पता नहीं लेकिन mujhe इन विरह के दिनों में आप भाइयों की याद बहुत सताएगी अगर जिंदगी रही तो कुछ दिनों बाद फिर से जरुर जरुर मिलेंगे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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