तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
11 मई 2010
में अकेला सिर्फ अकेला हूँ
जी हाँ ,अब तो खुश हो लो तुम्हारी ख़ुशी के लियें फिर से में अकेला हूँ तुम वही तो हो जिनके एक इशारे पर में कत्थक करता था तुम्ही थीं जिंदगी मेरी तुम्हीं से साँसें थीं मेरी तुम अब जब निकल गयीं तो बस अब फिर से , में अकेला हूँ में तो कल भी अकेला था आज भी अकेला हूँ कल की जिंदगी की क्या खबर लेकिन यह सच हे कल भी में अकेला हूँ । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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