तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
30 अप्रैल 2010
मजदूर दिवस केवल रस्म बन कर रह गया
देश भर के मजदूर एक हो का नारा देने वाले मजदूर नेताओं के मंसूबों पर पानी फिर गया हे और देश का संविधान देश के उच्चतम न्यायालय के समस्त दिशा निर्देश इस सिस्टम से हार गये हें और मजदूरों के हितों की समीक्षा के लियें बनाया जाने वाला यह दिन एक रस्म बन कर रह गया हे मजदूरों के काम के घंटे,सुरक्षा, स्थाई रोज़गार बाल मजदूरी प्रतिबन्ध महिला मजदूरों की सुरक्षा यह सब हमारे संविधान ने खुल कर मजदूरों को अधिकार दिए हें सरकार नें इसके लियें कानून बनाये हें और इन कानूनों को लागू करने के लियें सुप्रीमकोर्ट ने कई हजार फेसले देकर केंद्र और राज्य सरकारों को पाबन्द किया हे लेकिन मजदूरों को रखो और शोषण करो हक मांगने पर उनका दमन करो के सिद्धांत पर ही मालिक और सरकार चल रही हे और देश का संवेधानिक हक होने के बाद भी देश का मजदूर सरकार की पूंजीवादी नीतियों के कारण रो रहा हे आजकल तो सरकार ही नरेगा में मजदूरों का हक लुट कर उनका शोसन कर भ्रस्ताचार फेला रही हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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एक बात और बता दूँ में की यह जो मजदूर दिवस है यह सिर्फ भारत, होन्ग कोंग और सिंगापूर में ही मनाया जाता है
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