आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

06 अप्रैल 2010

एक श्रधान्जली बेकुसूर शहीदों के नाम

आज सात अप्रेल दो हजार दस देश के लियें गम और अफ़सोस का दिन हे आज के दिन हम रोयें या हथियार उठा क्र बेकुसूर जवानों की हत्या कर देने वालों का कत्ल कर दें कुछ समझ में नही आ रहा जी हाँ में सिआर्पिएफ़ के जवानों की नक्सलियों द्वारा की गयी निर्मम हत्या की बात कर रहा हूँ एक तरफ तो हमारे केन्द्रीय मंत्री जद ही नक्सलियों का सफाया कर देने का बडबोला ब्यान दे रहे थे और दूसरी तरफ व्ही मुठ्ठी भर नक्सली हमारे सिआर्पिएफ़ के जवानों पर धोके से हमला कर उनकी निर्मम हत्या कर रहे थे जी हाँ उन्होंने हमारे देश के तेरासी जवानों की निर्मम हत्या करदी हे और हम खामोश आँखों में श्रध्दा के आंसू लिए बेठे हें आप खुद सोचिये इसी स्थिति में क्या हमें खामोश रहना चाहिए अगर नही तो फिर उठो देश के म्न्तियों प्रधानमन्त्री से कहो की या तो अब नक्सली या कोई भी आतंकवाद जल्द से खत्म हो या फिर वोह इस्तीफा देकर चुल्लू भर पानी में डूब मरें । अख्तर खान अकेला कोटा rajasthan

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...