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28 मार्च 2010

सडक दुर्घटनाएं रोकने में सरकारें नाकाम

देश में भारतीय सडक सुरक्षा निति बनी हे मोटर विहिक्ल कानून बना हे । राष्ट्रीय राजमार्ग,राज्य राजमार्ग कानून बना हे द्रिविंग लाइसेंस केसे बनेगा , कार,मोटर ,जीप, नाव, ट्रोला ,और सभी छोटे बढ़े वाहन सडकों पर केसे चलेंगे, कितनी स्पीड होगी साइड क्या होगी सब कानून में लिखा हे लेकिन एक तो निजी बसों के परमिट उल्लंघन से जनता परेशान हे कोंटेक्ट केरिज परमिट वाले स्टेज केरिज परमिट की तरह बसें चलाते हें कई बसें ओवरलोड होती हें स्पीड मनमानी होती हे सडकों के हाल इसे हें के चारों तरफ से खुदी पड़ी हें जहां सडकें हें वहां विधिविरुद्ध स्पीडब्रेकर लगे हें मुख्य मार्गों पर दृष्टि भ्रम करने वाले विज्ञापन लगे हें जिन्हें देखने के चक्कर में ड्राईवर का ध्यान बंटता हे और दुर्घटना होती हे। सडकों पर ओवरलोड तर्क ट्रोले बेहिसाब चलते हें जो ड्राइवर के काबू में नहीं रहते हें ,विधिविरुद्ध हेलोजन लाइटें लगी हें कुल मिलाकर मोटर व्हीकल कानून का कबाड़ा हो रहा हे हालत यह हें के सडक दुर्घटना में मरने वालों के परिजनों और घायलों के कल्याण के लियें बने कानून लागू नहीं किये जा रहे हें । आप और हम अगर रोज़ इसकी शिकायत सरकार ,प्रशासन से करते रहेंगे तो हो सकता हे इन्हें श्रम आये और यह थोड़ी कानूनी सख्ती करके दुर्घटनाओं में मरने,घायल होने वालों की गिनती कम कर दें ।

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