इसमें शक नहीं कि ख़ुदा इन्साफ और (लोगों के साथ) नेकी करने और क़राबतदारों
को (कुछ) देने का हुक्म करता है और बदकारी और नाशएस्ता हरकतों और सरकशी
करने को मना करता है (और) तुम्हें नसीहत करता है ताकि तुम नसीहत हासिल करो
(90)
और जब तुम लोग बाहम क़ौल व क़रार कर लिया करो तो ख़ुदा के एहदो पैमान को
पूरा करो और क़समों को उनके पक्का हो जाने के बाद न तोड़ा करो हालाँकि तुम
तो ख़ुदा को अपना ज़ामिन बना चुके हो जो कुछ भी तुम करते हो ख़ुदा उसे
ज़रुर जानता है (91)
और तुम लोग (क़समों के तोड़ने में) उस औरत के ऐसे न हो जो अपना सूत
मज़बूत कातने के बाद टुकड़े टुकड़े करके तोड़ डाले कि अपने एहदो को आपस में
उस बात की मक्कारी का ज़रिया बनाने लगो कि एक गिरोह दूसरे गिरोह से
(ख़्वामख़वाह) बढ़ जाए इससे बस ख़ुदा तुमको आज़माता है (कि तुम किसी की
पालाइश करते हो) और जिन बातों में तुम दुनिया में झगड़ते थे क़यामत के दिन
ख़ुदा खुद तुम से साफ साफ बयान कर देगा (92)
और अगर ख़ुदा चाहता तो तुम सबको एक ही (किस्म के) गिरोह बना देता मगर वह
तो जिसको चाहता है गुमराही में छोड़ देता है और जिसकी चाहता है हिदायत करता
है और जो कुछ तुम लोग दुनिया में किया करते थे उसकी बाज़ पुर्स (पुछ गछ)
तुमसे ज़रुर की जाएगी (93)
और तुम अपनी क़समों को आपस में के फसाद का सबब न बनाओ ताकि (लोगों के)
क़दम जमने के बाद (इस्लाम से) उखड़ जाएँ और फिर आखि़रकार क़यामत में
तुम्हें लोगों को ख़ुदा की राह से रोकने की पादाष (रोकने के बदले) में
अज़ाब का मज़ा चखना पड़े और तुम्हारे वास्ते बड़ा सख़्त अज़ाब हो (94)
और ख़ुदा के एहदो पैमान के बदले थोड़ी क़ीमत (दुनयावी नफा) न तो अगर तुम
जानते (बूझते) हो तो (समझ लो कि) जो कुछ ख़ुदा के पास है वह उससे कहीं
बेहतर है (95)
(क्योंकि माल दुनिया से) जो कुछ तुम्हारे पास है एक न एक दिन ख़त्म हो जाएगा और (अज्र) ख़ुदा के पास है वह हमेशा बाक़ी रहेगा (96)
और जिन लोगों ने दुनिया में सब्र किया था उनको (क़यामत में) उनके कामों का हम अच्छे से अच्छा अज्र व सवाब अता करेंगें (96)
मर्द हो या औरत जो शख़्स नेक काम करेगा और वह इमानदार भी हो तो हम उसे
(दुनिया में भी) पाक व पाकीज़ा जिन्दगी बसर कराएँगें और (आखि़रत में भी) जो
कुछ वह करते थे उसका अच्छे से अच्छा अज्र व सवाब अता फरमाएँगें (97)
और जब तुम क़ुरान पढ़ने लगो तो शैतान मरदूद (के वसवसो) से ख़ुदा की पनाह तलब कर लिया करो (98)
इसमें शक नहीं कि जो लोग इमानदार हैं और अपने परवरदिगार पर भरोसा रखते हैं उन पर उसका क़ाबू नहीं चलता (99)
उसका क़ाबू चलता है तो बस उन्हीं लोगों पर जो उसको दोस्त बनाते हैं और जो लोग उसको ख़ुदा का शरीक बनाते हैं (100)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
12 अगस्त 2025
इसमें शक नहीं कि ख़ुदा इन्साफ और (लोगों के साथ) नेकी करने और क़राबतदारों को (कुछ) देने का हुक्म करता है और बदकारी और नाशएस्ता हरकतों और सरकशी करने को मना करता है (और) तुम्हें नसीहत करता है ताकि तुम नसीहत हासिल करो
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)