एक शख्सियत , जो कोंग्रेस के साथ वफादारी की मिसाल , कार्यकर्ताओं के मसीहा , राजस्थान की ऊंची उड़ान के पायलेट , गरीब किसानों के हमदर्द , ऐसी अनुकर्णीय नेतृत्व , खुश मिजाज़ शख्सियत को , मेरा सेल्यूट , श्रद्धा नमन , विनम्र अभिवादन, प्रेरणा दिवस पर, प्रेरित होकर, सचिन पायलट देश के प्रधामंत्री बनने के हकदार हैं, ओर अगर राजेश पायलट के व्यवहार से प्रेरित होकर बदलाव हुआ तो सो फी सदी सचिन पायलट प्रधानमंत्री बनेंगे,
स्वर्गीय राजीव गांधी के अभिन्न मित्र रहे , स्वर्गीय राजेश पायलेट की 25 वीं पूण्य तिथि पर उन्हें नमन, श्रद्धांजलि, लेकिन उनके पुत्र सचिन जी पायलेट को बिन मांगे, अरबों, खरबों रुपये की एक सीख, स्वर्गीय राजेश पायलट की दुर्घटना में आकस्मिक निधन के बाद , सहानुभूति व्यवस्था में सचिन पायलेट मम्मी रमा पायलेट के साथ सक्रिय राजनीति में आये, सांसद बने, केंद्रीय मंत्री बने, फिर राजस्थान प्रदेश कोंग्रेस अध्यक्ष, विधायक और उप मुख्यमंत्री भी बने, बाग़ी भी बने, समर्थन विहीन भी रहे, फिर बग़ावत का गुस्सा थूक कर, कोंग्रेस की वफादारी की खातिर लोट भी आये, अजय माकन सर की जल्दबाज़ी, झूँठ, मूर्खता नें फिर सचिन पायलेट को पीछे कर दिया, लेकिन सचिन पायलेट कोई आम लीडर नहीं हैं, किसान नेता, लोगों का दिल जीतने, घर घर दस्तक देकर लोगों के दुख दर्द के साथी बनने वाले, कोंग्रेस के मज़बूत स्तम्भ रहे, स्वर्गीय राजेश पायलट के होनहार पुत्र हैं , समझदार हैं, स्मार्ट हैं, पढ़े लिखे हैं, राजनीति, उनके वंश में उनके खून में है, ओर वोह राजनीति में लोगों की, कार्यकर्ताओं में अधिकतम कार्यकर्ताओं की पसंद भी हैं, इतना सब कुछ इनके पास होने के बावुजूद भी वालिद स्वर्गीय राजेश पायलेट का गुरु ज्ञान इनसे थोड़ा दूर है, यही वजह है , के इतनी क्वालिटी, दिल्ली दरबार की पसंद, होने के बाद भी , वोह कुर्सी से दो क़दम दूरी पर रहे, सचिन पायलेट को आत्मचिंतन, मनन की ज़रूरत है, हर एक हज़ार कार्यकर्ताओं में कम से कम एक कार्यकर्ता स्वाभिमान वाला होता ही है, वोह चाहता है, हमारे नेता जी हमसे इज़्ज़त, अख़लाक़ से बात करें, वोह चाहता हैं हमारा नेता हमें इनकार भी करे तो हमें बुरा ना लगे, खुद को अपमानित ना समझे, वोह चाहता है हमारे नेता के निजी सचिव , गनमैन जो भी नज़दीकी हों वोह भी उनको रेस्पॉन्स दे , सही तरह से जवाब दें, मुंह ना बनाएं , कोहनियों से पसलियों पर मारकर, धक्का , मुक्की कर , खींच तान ना करे, वोह चाहते हैं, जब उनके नेता सचिन पायलेट के आगमन पर वोह स्वाभिमानी कार्यकर्ता उत्साहित होकर भूखा , प्यासा रहकर, कड़ाके की धूप में , मालाएं, शॉल , साफे वगेरह लेकर आपके स्वागत की प्रतीक्षा में खड़े हों , तो आप अपनी कार को रोकें , नीचे उतरे, कार्यकर्ताओं के अभिवादन को , उनके स्वागत को गर्मजोशी से स्वीकार करें, कार्यकर्ता आपसे सोना, चांदी, ज़मीन, जायदाद नहीं चाहता, आपकी एक मुस्कान, मृदुल व्यवहार , एक फोटो और सम्मान ही उसके लियें सबसे बड़ी दौलत है, स्वर्गीय राजेश पायलेट रोतों हुओं को हंसाने, नाराज़ को मनाने ओर घण्टों से प्रतीक्षा कर रहे लोगों से जयजयकार करवाने का हुनर रखते थे, इसीलिए राजेश पायलेट मरते दम तक अजात शत्रु, हर दिल अज़ीज़ , विरोधियों के लियें भी मिसाल बन रहे, सचिन जी पायलेट में बाकी तो सभी गुण कूट कूट कर भरे हैं, बस अपने स्वर्गीय पिता की खुसूसी गुर अगर अंगीकार, स्वीकार कर अमल शुरू कर दें , तो सचिन पायलेट के लिये मुख्यमंत्री तो बहुत छोटा पद है, कार्यकर्ता, आम जनता, उनकी क़ाबलियत, उन्हें पिता श्री के इस गुर से प्रधानमंत्री के पद पर भी उन्हें बिठा देंगे, क्योंकि आप डिज़र्व करते है, बस यह गुर आत्मसात करना होगा , चमचे अलग, निंदक सलाहकार अलग रखना होंगे, नहीं तो राहुल जी को तो निंदक सलाहकार की कमी से हाल आप देख ही रहे हैं, अख्तर
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