उसके ज़रिए से मेरी पुश्त मज़बूत कर दे (31)
और मेरे काम में उसको मेरा शरीक बना (32)
ताकि हम दोनों (मिलकर) कसरत से तेरी तसबीह करें (33)
और कसरत से तेरी याद करें (34)
तू तो हमारी हालत देख ही रहा है (35)
फ़रमाया ऐ मूसा तुम्हारी सब दरख़्वास्तें मंज़ूर की गई (36)
और हम तो तुम पर एक बार और एहसान कर चुके हैं (37)
जब हमने तुम्हारी माँ को इलहाम किया जो अब तुम्हें “वही” के ज़रिए से बताया जाता है (38)
कि तुम इसे (मूसा को) सन्दूक़ में रखकर सन्दूक़ को दरिया में डाल दो फिर
दरिया उसे ढकेल कर किनारे डाल देगा कि मूसा को मेरा दुशमन और मूसा का दुशमन
(फ़िरऔन) उठा लेगा और मैंने तुम पर अपनी मोहब्बत को डाल दिया
जो देखता (प्यार करता) ताकि तुम मेरी ख़ास निगरानी में पाले पोसे जाओ (39)
(उस वक़्त) जब तुम्हारी बहन चली (और फिर उनके घर में आकर) कहने लगी कि कहो
तो मैं तुम्हें ऐसी दाया बताऊँ कि जो इसे अच्छी तरह पाले तो(इस तदबीर से)
हमने फिर तुमको तुम्हारी माँ के पास पहुँचा दिया ताकि उसकी आँखें ठन्डी
रहें
और तुम्हारी (जुदाई पर) कुढ़े नहीं और तुमने एक शख़्स (ख़बती) को मार डाला
था और सख़्त परेशान थे तो हमने तुमको (इस) ग़म से नजात दी और हमने तुम्हारा
अच्छी तरह इम्तिहान कर लिया फिर तुम कई बरस तक मदीने के लोगों में जाकर
रहे ऐ मूसा फिर तुम (उम्र के) एक अन्दाजे़ पर आ गए नबूवत के क़ायल हुए (40)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
01 जनवरी 2024
उसके ज़रिए से मेरी पुश्त मज़बूत कर दे
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