कोटा सहित समूचे हाड़ोती में अल्पसंख्यकों ,,के मसाइल , उनकी समस्याएं , उनके समाधान ,, में निराशाजनक नतीजों को लेकर, अल्पसंख्यक रहनुमाओं के खिलाफ वोटर्स लामबंद हो रहे है , जबकि , लगातार उपेक्षा के चलते , अब , अपने डिमांड चार्टर और नई रणनीति को तय करने के लिए , शीघ्र ही संभाग स्तर पर , बंधुआ मज़दूरी से मुक्त , ओरिजनल प्रतिनिधियों की , अल्पसंख्यकों के मसाइल पर बात करने वाले , ज़िम्मेदारों की एक बैठक ,, बूंदी में संभावित है , ,हाड़ोती संभाग में ,, मुस्लिम मसाइल , चाहे उन्हें राजनीति प्रतिनिधित्व की बात हो , सत्ता में प्रसाद पर्यन्त पदों में हिस्सेदारी हो , उनका सम्मान हो , उनके मसाइल , मदरसों में पैराटीचर्स की नियुक्ति , फर्नीचर , व्यवस्थाओं के मामले हों ,वक़्फ़ सम्पत्तियों के रख रखाव ,, मस्जिदों की मरम्मत , वगेरा संबंधित कार्य हों , उनकी निर्माण इज़ाज़तों के मसाइल हों , उर्दू विषय से संबंधित मामलात हो , रोज़गारोन्मुखी योजनाओं में , प्रतिनिधित्व हों , पन्द्रह सूत्रीय कार्य्रकमों के प्रतिनिधित्व , उनके बैठकों के मामले हों , बीस सूत्रीय कार्य्रकम में , प्रतिनिधित्व हों , वगेरा वगेरा , ऐसे मसाइल हैं , जिनमे उपेक्षाओं के चलते , नौकर शाहों की लापरवाही के चलते ,हालात अंदर ही अंदर सुलग रहे हैं , एक आयना , जो वर्त्तमान सरकार ने , इंटेलिजेंस , विजिलेंस का बनाया हुआ , वोह झुंठा है , क्योंकि ओरिजनल , गुस्सा , ओरिजनल नाराज़गी , मिसाइलों में पक्षपात की रिपोर्टिंग , अगर मुख्यमंत्री के पास सही मायनों में पहुंचती , तो यक़ीनन उसमे सुधार होता ,, लेकिन कोई तो है , जो , सत्ता में उपेक्षा ,,की शिकायतों को लेकर, जानबूझकर मुख्यंमंत्री अशोक गहलोत को गुमराह कर रहा है , कोई तो है , जो संगठन के मामले में , गोविन्द सिंह डोटासरा , अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे , प्रभारी , सुखजिंदर सिंह रंधावा को गुमराह कर रहा हैं, ,, संगठन के लोग, चंद मौलवी , मौलानाओं , को अपने आगे पीछे , कुछ लालच देकर, चक्कर लगवाकर यह सोचने लगे हैं , सारा समाज हमारी जेब में हैं , सत्ता से जुड़े लोग, कुछ ज़मीर फरोश पूंजीपति , जो , सिर्फ खुद के उत्थान के बारे में सोचते हैं , खुद के लिए ही , ,सत्ता से फायदे उठाते हैं , उन्हें साथ रखकर, शो पीस के रूप में ,दिखावे कर , सोच रहे हैं , के इनके मसाइलों को ताक में हम अगर रख भी देंगे , प्रतिनिधित्व भी नहीं देंगे, तो यह नमाज़ , रोज़े , मस्जिदों की इमामगिरी छोड़कर, मदरसों की शिक्षण व्यवस्था छोड़कर, लिफाफों , आर्थिक मदद , भूखंड, और मकानों की मदद , कुछ समितियों में नामजदगी से ,, या फिर जो पहले वोट काटने के लिए मुक़ाबिल आये थे , उन्हें फायदे देकर , अपनी जेब में रख लेने से , चुनावों में , हमारे खिलाफ सुलग रही , आग को , ठंडी करके , हमारे पक्ष में वोट डलवाने की स्थिति में ,हैं तो यह बात सो फीसदी ,गलत साबित हो रही हैं , क्योंकि ,वर्तमान हालातों में , यह आग दिन बा दिन सुलग रही हैं , वक़्त रहते अगर , मसाइलों पर चर्चा करके , कोई , समाधान नहीं निकाला तो बगावत का विस्फोट होने की पूरी गुंजाइश है ,, हाल ही में , पूर्व अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य , बूंदी चमन क़ादरी के साहिबज़ादे , यूथ कांग्रेस के नेता रहे , भाई गुड्डू क़ादरी , सुखजिंदर सिंह रंधावा , प्रभारी राजस्थान से मिले थे , उन्हें , हाड़ोती में सत्ता और संगठन में अल्पसंख्यकों की उपेक्षा की शिकायत की थी , मुंग में सफेदी के बराबर सुनवाई तो हुई , और कोटा से , डॉक्टर इकराम को वक़्फ़ विकास परिषद का वाइस चेयरमेन बनाया भी , ,संगठन में किसी को प्रतिनिधित्व नहीं दिया ,, हाल ही में ,कोटा शहर क़ाज़ी जुबेर अहमद , मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से , अपने वाजिब डिमांड चार्टर के साथ , काफी मसलों पर बात करके आये थे , उन्हें आश्वस्त किया गया था , के आप मांगते मांगते थक , जाओगे , लेकिन में देते देते नहीं , थकूंगा , इस डिमांड चार्टर में , सियासी , और सरकारी प्रतिनिधित्व की भी मांग रखी गई थी , ,लेकिन , डिमांड चार्टर की एक मांग भी पूरी नहीं हुई , वक़्फ़ कमेटी कोटा की तरफ से , कोटा बरकत उद्यान की छत निर्माण की जो पत्रावली ,, जिला कलेक्टर के पास चल रही थी , उसके सात साल के लम्बे सफर के बाद , ऍन औ सी ,, वक़्फ़ बोर्ड को लेकर, हल्ला मचा ,,, वक़्फ़ बोर्ड ने तत्परता दिखाई ,और बरकत उद्यान मस्जिद छत डलवाने के साथ , निर्माण की स्वीकृति की ऍन औ सी भेजी गई ,, लेकिन ताज्जुब तब हुआ , जब , निर्माण स्वीकृति , में मस्जिद को भवन कहकर सम्बोधित किया गया , फिलर हटाने के निर्देश उसमे दिए गए , बात साफ़ है , कोई तो है , जो ऐसी भड़काऊ हरकतें करके , सत्ता को नुकसान पहुंचाने की साज़िशों में लगा है , कोटा शहर क़ाज़ी के यहां , काफी चर्चा हुई , लेकिन अभी तक , इस मामले में , ज़िम्मेदार विभाग वक़्फ़ की तरफ से कोई लिखित प्रतिवाद , प्रोटेस्ट पेश नहीं करने से भी , लोगों में नाराज़गी बढ़ रही है , ,गुस्सा बढ़ रहा है , गुड्डू क़ादरी ने , संभाग में उपेक्षा की आवाज़ उठाई , कोटा शहर क़ाज़ी ने , इसे मुख्यमंत्री तक पहुंचाया , वक़्फ़ बोर्ड के खानू खान ने ऍन औ सी पहुंचवाई , अफ़रोज़ ने , अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ परिवाद दिया ,, पीस मिशन के न्याज़ भाई निक्कू ने , समन्वय के प्रयास किये , , भाई तबरेज़ ने जागरूक किया, इलियास अंसारी ने भी आवाज़ तो उठाई , मंज़ूर तंवर ने जयपुर में भी इस मसले पर सवाल खड़े किये , , और भी कुछ लोग होंगे जिन्होंने आवाज़ भी उठाई , प्रयास भी किये , लेकिन , जो इदारे इससे संबंधित हैं , वोह लोग , खामोश है ,, खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं ,,, प्रदेश संगठन के प्रतिनिध , सदस्य पी सी सी , चुनाव लड़े प्रत्याक्षी , टिकिट मांग रहे प्रत्याक्षी , पार्षद , पूर्व पार्षद , समाजसेवक , नेता लोग , मदरसा कमेटियां , समाजों के अध्यक्ष , मस्जिद , के इमाम , वगेरा और सभी ज़िम्मेदारों के साथ साथ , खासकर, मुस्लिम समाज से निकले लेखक, पत्रकार , अख़बारों के मालिक , इस मसाइल सहित हर मसाइल पर चुप्पी साधे बैठे हैं , वोह सोचते हैं , मसाइलों को , खबरों से अलग कर देने से , यह मसाइल लोगों तक नहीं पहुंचेगे , लेकिन आज सोशल मीडिया , माउथ पब्लिसिटी , इन पर भारी हैं , और उनके ऐसे मिसाइलों को दबाने के प्रयास , संगठन और सत्ता को नुकसान पहुंचाने की ही मूर्खता साबित हो रही है ,, अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा , मसाइलों पर बात होना चाहिए , चर्चा होना चाहिए , , भरोसे में लेकर, कुछ काम होना चाहिए , वरना यह जो जी हुज़ूर हैं ना , यह जो अस्सी , बीस प्रतिशत का क्रिकेट मैच है , ना पहले भी हमें नुक़्सान पहुंचा चूका है , और अभी भी , कुछ साज़िशें , ऐसे ही , लोगों को , हमारे नेताओं को गुमराह कर, नौकरशाही , और जी हुज़ूर नेताओं की चल रही हैं ,, बारां में प्रमोद जी , बूंदी में हरी मोहन जी , झालावाड़ में कोई नहीं जी सभी की दाल पतली होती जा रही है, अभी कुछ वक्त बचा है , मूल स्वभाव पर लौटकर आने से बहुत कुछ खत्म होने से बचाया जा सकता है, अख़्तर खान अकेला कोटा राजस्थन 9829086339
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