जब कोई मुसीबत आती है तो ख़ुदा के इज़न से और जो शख़्स ख़ुदा पर ईमान लाता
है तो ख़ुदा उसके क़ल्ब की हिदायत करता है और ख़ुदा हर चीज़ से ख़ूब आगाह है
(11)
और ख़ुदा की इताअत करो और रसूल की इताअत करो फिर अगर तुमने मुँह फेरा
तो हमारे रसूल पर सिर्फ़ पैग़ाम का वाज़ेए करके पहुँचा देना फ़र्ज़ है (12)
ख़ुदा (वह है कि) उसके सिवा कोई माबूद नहीं और मोमिनो को ख़ुदा ही पर भरोसा करना चाहिए (13)
ऐ ईमानदारों तुम्हारी बीवियों और तुम्हारी औलाद में से बाज़ तुम्हारे
दुशमन हैं तो तुम उनसे बचे रहो और अगर तुम माफ़ कर दो दरगुज़र करो और बख़्ष
दो तो ख़ुदा बड़ा बख़्षने वाला मेहरबान है (14)
तुम्हारे माल और तुम्हारी औलादे बस आज़माइश है और ख़ुदा के यहाँ तो बड़ा अज्र (मौजूद) है (15)
तो जहाँ तक तुम से हो सके ख़ुदा से डरते रहो और (उसके एहकाम) सुनो और
मानों और अपनी बेहतरी के वास्ते (उसकी राह में) ख़र्च करो और जो शख़्स अपने
नफ़्स की हिरस से बचा लिया गया तो ऐसे ही लोग मुरादें पाने वाले हैं (16)
अगर तुम ख़ुदा को क़र्ज़े हसना दोगे तो वह उसको तुम्हारे वास्ते दूना कर
देगा और तुमको बख़्ष देगा और ख़ुदा तो बड़ा क़द्रदान व बुर्दबार है (17)
पोशीदा और ज़ाहिर का जानने वाला ग़ालिब हिकमत वाला है (18)
सूरए अत तग़ाबुन ख़त्म
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