आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

24 नवंबर 2022

 कोटा दक्षिण के महापौर राजीव भारती की गांधीगिरी के आगे ताला खुद पानी पानी होकर, अपने ही हाथों , खुद के ही हाथों , चाबी से खुल गया , इसके पूर्व भी , राजीव भारती , कोटा मेले दशहरे में उपेक्षित रवय्ये के बाद गांधीगिरी का विरोध जता कर खुद को बढ़ा साबित कर चुके हैं ,

 कोटा दक्षिण के महापौर राजीव भारती की गांधीगिरी के आगे ताला खुद पानी पानी होकर,  अपने ही हाथों , खुद के ही हाथों , चाबी से खुल गया , इसके पूर्व भी , राजीव भारती , कोटा मेले दशहरे में उपेक्षित रवय्ये के बाद गांधीगिरी का विरोध जता कर खुद को बढ़ा साबित कर चुके हैं , , ,
कोटा की विकास नगरी , पर्यटन नगरी , शैक्षणिक नगरी , में कोटा दक्षिण के महापौर , राजीव अग्रवाल उर्फ़ राजीव भारती की गांधीगिरी ने,  कोटा की सियासत में एक नया उदाहरण पेश किया हैं , ना विरोध , ना बयानबाज़ी , और विरोध करने वाले खुद बा खुद अपने घुटनों पर आ जाएँ , यह सब सिर्फ गांधीगिरी से ही मुमकिन हो सकता है , राजीव भारती महापौर ने साबित कर दिखाया है ,, यक़ीनन हाल  ही में कोटा दक्षिण के महापौर के खिलाफ कुछ इन्ही की पार्टी के नाराज़ विधायक , ना जाने किसके इशारे पर, लामबंध हुए , और सीधे इनके कक्ष में पहुंचे विरोध जताया , ,और  नगर निगम कार्यालय में स्थित इनके दैनिक कामकाज निपटाने के कार्यालय कक्ष में , ताला लगाया , फोटो खिंचवाया , सोशल मिडिया पर, बहादुरी के क़िस्से की तरह से इसे बयान किया ,फिर अख़बारों में भी इस खबर को सुर्खियां बनवाई , यूँ तो , एक महापौर के कक्ष में ,ताला लगाकर , उनके सरकारी काम काज को प्रभावित करना , यक़ीनन , राजकार्य में बाधा का अपराध होता है , लेकिन महापौर राजीव अग्रवाल ने , कोई विरोध नहीं जताया , कोई सफाई नहीं दी ,कोई अखबारी बयानबाज़ी नहीं की , ना ही कोई आपराधिक मुक़दमा दर्ज कराया ,,, ना ही नगर निगम क़ानून के तहत, ऐसे पार्षदों की सदस्य्ता बर्खास्त करने का कोई क़ानूनी पत्र सरकार को भेजा , ना ही किसी को बर्खास्त करवाया गया ,  सिर्फ गांधीगिरी शुरू कर दी , अपने घर से ही पत्रावलियों का निस्तारण करने लगे , काम भी प्रभावित नहीं और कक्ष में ताला लटकाने वाले , हैरान परेशान हो गए , वोह चाहते थे , महापौर  राजीव अग्रवाल उनके घुटनों पर आकर, उनसे बात करें , लेकिन राजीव अग्रवाल जो कैथूनीपोल पुराने कोटा के इतिहास की बहादुरों की बस्ती से रहे , वोह चुप रहे , खामोश रहे , उनके समर्थकों को भी उन्होंने खामोश कर दिया , सब कुछ खामोश देखकर, विरोधी खुद पिघलने लगे , बर्फ की तरह से पिघल कर पानी पानी हो गये , और , कुछ दिनों बाद , खुद ही ताला लगाने वाले पार्षद , जो ताला लगाकर वोह गए थे , जो नगर निगम कोटा दक्षिण के महापौर कक्ष का समस्त राजकार्य वोह  हेल्डअप कर चुके थे , उन्हें सद्बुध्दि आयी , वोह खुद , इस ताले को खोलकर चले गए , बात छोटी सी है , लेकिन संदेश बहुत बढ़ा हैं , एक ही सियासी पार्टी के  , अलग अलग गुटों के एक ही , गुट के अपने लोगों का उनके अपने के  खिलाफ यह कारनामा , क्यों हुआ , किसलिए हुआ , आरोप तो ,  पट्टा शिविरों की तिथि आगे बढ़ाने को लेकर बताया गया , लेकिन क्या सरकार की मर्ज़ी के बगैर कोई महापौर , कोई भी पट्टा शिविर निरस्त कर सकता है, वोह बढ़ा पार्षद से ज़्यादा कुछ नहीं होता है ,  फिर भी ऐसी कार्यवाही हुई,  सभी जानते है , मेले दशहरे कार्यकम की समिति के वक़्त  जब, कोटा ,उत्तर  कोटा दक्षिण की संयुक्त बैठक हुई ,जब ,वार्ड पार्षदों को , फोटो खिंचवाने के नाम पर , पांबद करने की बात हुई, और भी कई सुझाव जिन पर अमल होना था नहीं हो पाया , तो फिर , कोटा दक्षिण महापौर की वही गांधी गिरी शुरू हो गयी थी, उन्होंने मेले दशहरे के किसी भी कार्यक्रम में हिस्सेदारी नहीं दिखाई,  जब , स्टेज पर जाने ,फोटो खिचवाने से पार्षदों को पाबंद करने की बात हुई तो , फिर राजीव अग्रवाल क्यों  ,मेले दशहरे के स्टेज पर जाते , वोह भी मेले दशहरे से खुद को गांधीगिरी के सिद्धांत पर  अलग थलग कर , सुकून से बैठ गए , ,चर्चा रही, कुछेक लोग गुस्सा हुए , लेकिन जिसने भी , उनकी बात सुनी वोह संतुष्ट हुआ , सभी ने उनके फैसले को सराहा , इधर, एक दूसरे के मुंह पर पानी फेंका फांकी के एपिसोड से भी , कई लोग आहत से लगे , लेकिन कुछ भी हो , हालात सामान्य होना चाहिए , एक तरफ तो , राजस्थान विधानसभा चुनाव सर पर हैं, दूसरी तरफ ,चार साल बेमिसाल के नारे के साथ , सरकार का सकारात्मक प्रचार करने की ज़िम्मेदारी है , तीसरी तरफ , कोटा में राहुल गांधी की , भारत जोड़ो यात्रा के स्वागत , सत्कार की तैय्यारियाँ हैं ,, इतना ही नहीं इससे भी ज़्यादा गंभीर मसला ,, कोटा के विकास की बागडोर को थामने की कोशिशों में,  कुछ लोग , कुछ गुट के लोग,  षड्यंत्रों की लक्ष्मण रेखा रोज़ पार कर रहे हैं, ऐसे में , ऐसे में ,, महापौर के कक्ष में ताला ठोकने की घटना , यक़ीनन , षड्यंत्रकारियों को , उनके षड्यंत्र में सफल होने के लिए मौक़ा देने के समान था , लेकिन राजीव अग्रवाल ने, महापौर के नाते , एक ज़िम्मेदार जन प्रतिनिधि के नाते , एक वफादार कार्यकर्ता के नाते , गांधी की कांग्रेस के गांधीवादी सिद्धांत के नाते ,  खुद को खूब कंट्रोल किया , ना उकसावे में आये , ना भड़कावे में आये , ना शिकवा किया , ना शिकायत की , ,बस गांधीगिरी की शुरुआत हुई , तुमने  महापौर कक्ष में लगा दिया ताला तो लगाए रखो , चाबी अपने पास रखकर खूब घूमो , ,उन्होंने बताया की , काम करने के लिए किसी कक्ष की ज़रूरत नहीं , फाइलें घर से भी निपटाई जा सकती हैं , और उन्होंने ऐसा किया भी ,, उनकी गांधीगिरी से कांग्रेस गुटों के साथ , और ज़्यादा गुटों में बंटने से बच गयी ,, कांग्रेस को बंदनाम करने की साज़िशें उकसाने की साज़िशें गांधीगिरी के आगे , नतमस्त होकर , नाकाम हो गयीं, फिर हुआ क्या ,जीत तो गांधीगिरी की हुई , वही चाबी ,, वही ताला , वही ताला लगाने वाले हमराह साथी लोग , और फिर कुछ दिनों बाद , ख़ामोशी से , वही , हमराह साथी ,  कुछ दिन अपनी जेब में , चाबी रखकर,  उसी चाबी से , महापौर कक्ष का ताला खोलने वाले लोग , खेर जो हुआ सो हुआ , अब गांधीगिरी में पारंगत होते जा रहे , भाई राजीव अग्रवाल को , चाबी , ताले वाले हमराह साथियों को ,गले लगाकर, उनके दुःख तकलीफ पूंछकर,  उनकी शिकायतों को दूर करने की कोशिश करना चाहिए , वोह नाराज़ क्यों हुए , किसके भड़कावे , किसके उकसावे में उन्होने ऐसा क्या , आखिर आक्रोशित होकर ,अपने ही , बोर्ड के खिलाफ बगावत क्यों की , इसके सवाल तलाशकर, नगर निगम की ज़िम्मेदारियाँ और , खूबसूरती ,, और कामयाबी के साथ निभाना चाहिए , ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...