अथक प्रयासों से,संभाग में रोपें जा रहे हैं, नैत्रदान के बीज,400 km की दौड़-भाग से दो लोगों को मिलेगी रौशनी
2. संकल्प पूरा करने के लिये,कोटा से 200 किलोमीटर जाकर लिया नैत्रदान
3. भाई ने भवानीमंडी और बहन ने चौमेला में स्थापित किया नैत्रदान
संभाग
स्तर पर नैत्रदान-अंगदान-देहदान के लिये विगत 11 वर्षों से कार्य कर रही
संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन और बीबीजे चेप्टर के सहयोग से कस्बा चौमेला
में केशवलाल जी की पत्नि धापूबाई जी का नैत्रदान कोटा से 200 किलोमीटर का
सफर करके आयी टीम ने लिया ।
संस्था
के रामगंजमंडी क्षेत्र के ज्योति-मित्र संजय विजावत जी ने बताया कि,संस्था
द्धारा चलाये जा रहे जागरूकता कार्यक्रमों की महक अब दूसरे राज्यों की
सीमाओं तक जाने लगी है । शाइन इंडिया फाउंडेशन के ज्योतिमित्र कमलेश दलाल
ने बताया कि,नेत्रदान के कार्यों से जुड़े हुए रामगंजमंडी निवासी संजय
विजावत जी कि मौसी जी धापू बाई (68 वर्ष ) का देहांत चौमेला में हुआ है,और
परिवार के सभी सदस्यों की इच्छा है कि,अंत समय में उनकी नेत्रदान की इच्छा
को पूरा किया जा सके ।
अब
जब उनके निधन की सूचना धापूबाई के भतीजे संजय विजावत को प्राप्त हुई
तो,उन्होंने परिवार को संकल्प पत्र भरने का स्मरण करवाते हुए नेत्रदान की
बात की, और परिवार के द्धारा तुरंत इसके लिए सहमति प्रदान कर दी गई। परंतु
इस समय तक रात्रि का 7:00 बज चुका था और कोटा से चौमेला के लिए कोई ट्रेन
या अन्य साधन नहीं था, गर्मी का मौसम देखते हुए,और समय की प्रतिबद्धता को
देखते हुए, डॉ कुलवंत गौड 200 किलोमीटर दूर चौमेला के लिये रात्रि को ही
कार से 4 घंटे का सफर तय करके रात्रि को 1 बजे निवास स्थान पर पहुंच कर
नेत्रदान प्राप्त किया, और कॉर्निया लेकर रवाना हुए। इससे पहले रविवार को
ही डॉ कुलवंत गौड़ के द्वारा भवानीमंडी से शशिकांत भराड़िया का नेत्रदान
प्राप्त किया गया था।
डॉ
गौड़ ने कहा कि गर्मी के मौसम में कोटा से आने-जाने की 8 घंटे की यात्रा
कर, कॉर्निया को जयपुर पहुँचाना एक कठिन चुनौती थी,पर धापूबाई जी के द्वारा
पूर्व में नेत्रदान का संकल्प किया हुआ था,एवं नेत्रदान संकल्प करने के
बाद,समय आने पर उसको पूरा करना, यह हमारी जिम्मेदारी हो जाती है ।
शाइन
इंडिया फाउंडेशन ने संभाग में भरी सर्दी, तेज गर्मी और भारी बरसात सभी तरह
के विपरीत परिस्थितियों एवं ख़राब मौसम में भी संभाग के कोने-कोने से जाकर
नेत्रदान प्राप्त किए हैं, संस्था के द्वारा किसी भी परिस्थिति में भी आज
तक नेत्रदान की कोई भी कॉल मिस नहीं हुई है, परंतु यह पहला अवसर रहा है, जब
संभाग के अंतिम छोर 200 किलोमीटर दूर से जाकर नेत्रदान प्राप्त किया है,
इससे पहले 2 अक्टूबर को पास के ही गांव डग कस्बे से श्रीमती रेखा जैन का
नेत्रदान प्राप्त हुआ था।
कमलेश
दलाल ने बताया कि, कुछ दिन पहले 8 मई को भवानीमंडी में एक पारिवारिक आयोजन
में भवानीमंडी के प्रथम नेत्रदाता स्वर्गीय देवेंद्रजी जैन की धर्मपत्नी
श्रीमती कृष्णा जी जैन और दोनों पुत्र हेमंत और अजय तथा बहुओं प्रियंका और
प्रीति ने नेत्रदान का संकल्प लिया था, उन्हें संकल्प लेते देख,नैत्रदानी
देवेंद्र जैन की बहिन श्रीमती धापूबाई जैन ने भी वहीं अपने नैत्रदान संकल्प
की इच्छा प्रकट की, और ज्योतिमित्र संजय विजावत व कमलेश दलाल के सहयोग से
नेत्रदान का संकल्प लिया था ।
डॉ
गौड के अनुसार गर्मी में मृत्यु के 6 से 8 घंटे एवं सर्दी में 8 से 12
घंटे तक नेत्रदान लिया जा सकता है, यदि डीप फ्रीजर की व्यवस्था है तो यह 24
घंटे तक भी संभव है, किसी भी उम्र के व्यक्ति का नेत्रदान संभव है एवं कुछ
अपवाद स्वरूप संक्रामक बीमारियों को छोड़कर सभी प्रकार की मृत्यु के
पश्चात नेत्रदान संभव है। इसमें मृतक को कहीं लेकर नहीं जाना होता है नेत्र
उत्तसरण टीम स्वयं घर पर आकर 10 मिनट की छोटी सी प्रक्रिया के बाद
नेत्रदान प्राप्त कर लेती है, इसमें पूरी आंख की जगह केवल कॉर्निया निकाला
जाता है एवं चेहरे पर कोई विकृति नहीं आती है।
कमलेश
दलाल ने जानकारी देते हुए बताया कि भवानीमंडी का प्रथम नेत्रदान वर्ष 2013
में धापूबाई के भाई स्वर्गीय देवेंद्र जैन का नेत्रदान भतीजे संजय विजावत
की प्रेरणा से प्राप्त हुआ था, एवं अब चोमैला में भी प्रथम नेत्रदान
देवेंद्रजी की बहिन के रूप में धापूबाई का संजय विजावत की प्रेरणा से ही
प्राप्त हुआ है, रामगंजमंडी और झालरापाटन के प्रथम नेत्रदान भी संजय विजावत
की प्रेरणा से ही प्राप्त हुए है ।
इस
तरह से रात 8 बज़े से निकली हुए शाइन इंडिया की टीम सुबह 5 बज़े,400
किलोमीटर के 10 घंटे का सफर करके,दो पुण्यात्माओं के नैत्रदान लेकर कोटा
पहुँची । डॉ गौड़ ने बताया कि,टीम के सभी सदस्यों में नैत्रदान के प्रति यह
जोश बराबर है। हमारे साथ हर समय पुण्यात्माओं नेत्रदाताओं का आशीर्वाद साथ
रहता है,उनके आशीर्वाद के सहयोग से ही यह पुनीत कार्य हम सब कर पाते
है,अन्यथा यह सब संभव नहीं है।
ज्ञात
हो कि,शाइन इंडिया फाउंडेशन, आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान,जयपुर के
साथ,उनके मापदंड और दिशा-निर्देशों पर नैत्रदान जागरूकता व नेत्र-संग्रहण
के लिये कार्य कर रही है। संस्था के सहयोग से अभी तक 1430 नेत्रों का
संग्रह संभाग स्तर पर किया जा चुका है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)