कोटा के विश्वामित्र की पुस्तक "लोक के राम" का हिंदी भवन में लोकार्पण
2. कोटा-कविराज की पुस्तक का,दिल्ली के हिंदी भवन में हुआ लोकार्पण
नई
दिल्ली हिन्दी भवन में हाड़ौती के प्रसिद्ध कवि विश्वामित्र दाधीच की आलेख
कृति "लोक में राम" का लोकार्पण "युवा उत्कर्ष साहित्य संस्था" के बैनर तले
हुआ। समारोह की अध्यक्षता योगेन्द्र नारायण (पूर्व रक्षा सचिव एवं मुख्य
सचिव,राज्य सभा ) ने की, उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि साहित्यकार
लोकतंत्र का पांचवा स्तम्भ है। आज़ वो ही चेतना में है,और सब को जागृत कर
रहा है। लेखक को जन उपयोगी लेखन करना चाहिए। यह कृति उसी परंपरा में आती
है।
विशिष्ट अतिथि
प्रोफेसर डॉ एस के शुक्ल ने कृति पर बोलते हुए कहा की "राम समग्रता के सूचक
है,कृष्ण उपदेशक है, राम आदर्शों का शिखर खड़ा करते हैं। हर आदर्शवादी
पुरुष जो जीवन में संघर्षरत है वो राम है। राम सबके हृदय में है इसलिए
तुलसी कहते हैं" सीया राम मय सब जग जानी । डॉ राकेश पाण्डेय ने कहा राम
भारत ही नहीं वरन् समस्त जगत के है । कंबोडिया, इंडोनेशिया,बाली आदि देश
इसके प्रमाण है।
अंतरराष्ट्रीय
पत्रकार अरविंद कुमार ने कहा विश्व का सर्वाधिक फैला हुआ पोस्ट आफिस भारत
वर्ष का है जो देश की सर्वाधिक पत्र पत्रिकाओं और कृतियों को पाठक तक
पहुंचाता है। आज़ पत्र लेखन की परंपरा का क्षरण साहित्य की अपूरणीय क्षति
है। साहित्यकार को इसे जिंदा रखने के लिए सोशल मीडिया पर पत्र लेखन की
परंपरा को जीवित करना होगा।
जितेन्द्र
निर्मोही ने कहा कृति" लोक के राम" हाड़ौती अंचल के लोक नाट्य पर आधारित
उपन्यास" ढाई कड़ी की बिसात" के आगे की यात्रा है।
इस
अवसर पर कृतिकार विश्वामित्र दाधीच ने कहा मुझसे उज्जैन की एक संस्था ने
कहा आप लोक के राम पर कुछ लिखौ इस तरह एक आलेख ने कृति का रुप लै लिया।
सरस्वती वंदना लता द्वारा की गई स्वागत भाषण रामकिशोर उपाध्याय ने दिया,
संचालन पवन विजय ने किया धन्यवाद शारदा जी ने दिया।
समारोह में सुभाष चंदर,अनूप श्रीवास्तव,देशपांडे, कवियित्री कीर्ति काले आदि मौजूद थे।
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