वकील ,साथियों . पक्षकारों के लिए , न्यायिक कार्यों में , नक़ल विभाग की त्वरित कार्यवाही सर्वाधिक महत्वपूर्ण है , क्योंकि कोई भी आदेश , दस्तावेज , आदेशिका , या निर्णय की नक़ल लेकर , तुरतं निर्धारित समयावधि में , अपील , निगरानी , या फिर पक्षकार को उक्त नक़ल देकर अग्रिम कार्यवाही , इसी पर निर्भर है , नक़ल में देरी तो समझो न्याय में देरी , नक़ल में व्यवस्था नहीं तो समझो , सभी में अव्यवस्थाएं है , लेकिन व्यवहार में , रोज़मर्रा के वकालत के काम काज में ,वकील साथियों , वकीलों के लिपिक साथियों क्या कोटा सहित , पुरे राजस्थान में , नक़ल विभाग में , व्यवस्थित तरीके से , नक़ल की दरख्वास्त लगाने पर , तत्काल नक़ल मिल रही है , क्या न्यायालयों में , नक़ल विभाग में , नक़ल के प्रार्थना पत्रों के त्वरित निस्तारण के लिए पर्याप्त स्टाफ सहित , , ज़ेरोक्स की मशीन , परिसर सहित पर्याप्त व्यवस्थाएं है , क्या नक़ल का आवेदन देते ही पत्रावली न्यायालय से नक़ल के लिए पर्याप्त समय में आ जाती है , इस बारे में क्या कभी आप लोगों ने गौर क्या , क्या लेट लतीफी , देरी , या फिर स्टाफ की कमी , या दूसरी अव्यवस्थाओं के चलते आने वाली परेशानियों के निराकरण के लिए , अपने निर्वाचित लोगों से बात की , क्या इन लोगों ने कभी बैठक में , जिला जज स्तर के अधिकारियो से ऐसे मुद्दों के निराकरण की मांग उठाई , उठाई होगी , लेकिन क्या सब कुछ ठीक चल रहा है , यह सोचने की बात है , शायद इसीलिए , संशोधित सिविल , दाण्डिक नियम 2020 के आदेश 6 की उप धारा4..व 13 उप धारा 14 में इसको विधिवत समय सीमा के साथ लिखित में दिया जाना तय कर दिया है , संशोधित नियमों के तहत , नक़ल प्रार्थना पत्र पर सात दिवस का समय दिया जाएगा , ,और नक़ल बनते ही , नक़ल विभाग की वेबसाइट पर , नक़ल बनने की सुचना जारी की जायेगी , फिर नक़ल प्राप्त की जा सकेगी ,, जिसे एक माह तक प्रतीक्षा करने के बाद , निस्तारित की जाएगी ,, अब संशोधित नियमों के तहत दो बातें साफ़ है ,, एक तो सात दिन में तो कम से कम , नक़ल दिया जाना ज़रूरी हो गया , अर्जेन्ट नक़ल का प्रावधान अलग से तय है ,, दूसरी बात हर जिला नक़ल विभाग के आवेदन , और नक़ल बनने की कार्यवाही दिनांक सहित , वेबसाइट पर , दी जायेगी , लेकिन क्या , जिला न्यायलय की नक़ल विभाग की सुचना संबंधित वेबसाइट बनी है , नक़ल के यह संशोधित नियम 2020 से लागू हो गए है , लेकिन 2021 के दसवें महीने अक्टूबर माह की शुरुआत होने को है , कम से कम कोटा न्यायायलय की वेबसाइट पर तो नक़ल विभाग की नक़ल बनने की सूचना का प्रदर्शन अभी तक शुरू नहीं हुआ है , तो फिर नियम बनाने से क्या फायदा , नियम बने है तो पालना होना चाहिए , नियम है तो वकीलों को भी इस मामले में , न्यायिक प्रशासन से बात चीत कर व्यवस्थाओं में सुधार की बात करना चाहिए , शायद बात चीत हुई भी हो , लेकिन नतीजा क्या रहा ,, ऐसे में मेरे भाइयों , वकील साथियों , कस्बे , ब्लॉक , तहसील , जिला , संभाग , प्रदेश , राष्ट्रिय , अंतर्राष्ट्रीय , अंतर आकाशगंगा , सहित सभी जाति , समाज , राजनितिक पार्टियों के विधिक साथियों , पदाधिकारियों , नेताओं , ज़िलों की अभिभाषक परिषदों , बार कॉंसिल्स , सभी प्रतिनिधियों से गुज़ारिश है के सब मिलकर , नक़ल विभाग मामले में , समन्वय स्थापित कर , त्वरित नक़ल प्राप्त करने संबंधित व्यवस्थाएं बनवाये , जो विधि नियम में लिखा है , उसे लागु करवाए , अगर आपने कोई परिवाद ,वाद पेश किया , तो वोह निर्धारित रिपोर्ट की तारीख पर , रिपोर्ट के साथ , न्यायालय की इजलास में होना चाहिये , बिना रिपोर्ट के अगर वोह दावा , परिवाद , रह जाता है तो इसके ज़िम्मेदार व्यक्ति से जवाब तलब होना चाहिए , अगर साक्ष्य , सम्मन संबंधित , मामले है ,तो तलबी जारी हुई , या नहीं हुई , अगर तलबी आदेश के बाद भी जारी नहीं हुई , तो ऐसे कर्मचारी की ज़िम्मेदारी तय होना चाहिए , तलबी लोट कर आयी , क्यों नहीं आई , ,थानों से , खुद मज़कूरी द्वारा नोटिस , सम्मन , वारंट को , तामील कराकर पहुंचाए या नहीं , तामील करवाई या नहीं , क्या बहानेबाज़ी की है , और अगर अदालत से जारी सम्मन , नोटिस , वारंट , ले जाने के बाद भी वोह , अदम तामील , या तामील करवाकर नहीं लोटाये है , तो ऐसे मामले में , ऐसे गैर ज़िम्मेदार थाने के पुलिस अधिकारीयों के खिलाफ फौजदारी कार्यवाही हो , न्यायालय की आदेशिका की अवमानना की कार्यवाही हो , ,172 सहित अन्य भारतीय दंड संहिता की धारा में कार्यवाही हो , अगर ऐसा हुआ तो , रिपोर्ट वगेरा की वजह से अनावश्यक देरी के कारणों से बचा जा सकेगा , जबकि अदालती कामकाज में , सम्मन , वारंट ,, वगेरा की तामील तुरंत होने , तामील जारी होने पर , तामील , बाद वापसी , पत्रावली में शामिल होने से , आगे की कार्यवाहियों में ,मदद मिलेगी , और सम्मनों पर , तामील से बचने के लिए , लिखे गए शब्द , हमारे थाना क्षेत्र का नहीं है , क़ानून व्यवस्था में लगे होने से तामील नहीं हो सकी , समयाभाव के कारण तामील नहीं हुई , घर पर गए , नहीं मिला , फोन पर सूचित किया , घर पर बच्चे मिले , ताला लगा मिला , ऐसे बहनेबाज़ियों की पोल भी खुल जायेगी , और त्वरित न्याय की तरफ हर पत्रावली तेज़ी से बढ़ने लगेगी , लेकिन इसके लिए हमे खुद को , मज़बूत , एक जुट , होकर , चिंतित होकर ,इन समस्याओं के निस्तारण के लिए , जिलेवार हर बार एसोसिएशन के साथ ,जिला जज साहब के साथ होने वाली बैठक में , इसे मज़बूती से ,रखकर इसका पालन करवाने के लिए ईमानदारी से जद्दो जहद शुरू करना होगी , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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