उर्दू......!!
हमारा रामप्रसाद खुद के आगे 'बिस्मिल' लिखता है, हमारा भगत उर्दू में शायरी लिखता है, हमारा रघुपति सहाय 'फिराक' हो जाता है, हमारे पटेल को भी अच्छी उर्दू आती है और नेहरू भी अच्छी उर्दू बोलते है. जिन्हें लगता है कि उर्दू के बिना भारत है, वो बस एक घण्टे बिना उर्दू बोले गुजार दें, मैं उन्हें कथित देशभक्त मान लूंगा.
है किसी की 'औकात' ?
देखो! तुम्हारी 'औकात' भी उर्दू है.
कहाँ- कहाँ से मिटाओगे उर्दू को ? पहले अपनी 'जुबान' से मिटाकर दिखाओ तो जानें.
देखो 'जुबान' भी उर्दू है. उर्दू के खिलाफ तुम्हारी 'नफरत' भी उर्दू में है, 'मोहब्बत' भी उर्दू में है, 'इश्क' भी उर्दू में है.
तुम्हारा 'कानून' उर्दू में है, तुम्हारा 'तहसीलदार' भी उर्दू में है, तुम्हारी 'अदालत' भी उर्दू में है, तुम्हारा 'वकील' भी उर्दू में है, तुम्हारी 'तहसील' भी उर्दू में है, उर्दू की मुखालफत का तुम्हारा 'जुर्म' भी उर्दू में है और तुम्हारा 'हिन्दू' भी उर्दू में है.
और सुनो बेहोश लापरवाह! तुम्हारा 'हिंदुस्तान' भी उर्दू में है.
अरे! देखो तुम्हारी 'जमीन' भी उर्दू है.
जिस उर्दू को तुम्हारी जमीन ने पैदा किया है, उसे अपना क्यों नहीं मानते ?
ऐसे कैसे बनेगा अखंड भारत ? जिसको तुमने पैदा किया, उसे ही अपना नहीं मानते! अपनी संपत्ति को ही अपना नहीं मानते हो, बड़े 'जाहिल' हो यार.
देखो तुम्हारा 'जाहिल' उर्दू में है.
'मुबारक' हो! तुम्हारे अंदर भी एक मस्त उर्दू रहती है.
उर्दू की जीभ रखने वालों उर्दू को मिटा रहे हैं ? पहले अपनी जीभ तो बिना उर्दू के चला लीजिये हुजूर.
देखो हुजूर! तुम भी उर्दू में हो.
ये उर्दू किस बला का नाम है भाई ?
उस बला का, जिसके बिना तो तुम किसी से अपनी मोहब्बत का इजहार भी नहीं कर सकते.
अब देखो उर्दू के बिना तुम्हारा 'इजहार' भी अधूरा है, तुम्हारी 'मोहब्बत' भी अधूरी है.
तुम जब बीमार पड़ते हो तो क्या लेते हो ?
'दवा' !!
ऐ कमबख्त नामुराद ! तुम्हारी 'दवा' भी उर्दू में है.
तुम्हारी 'दारू' भी उर्दू में है, नफरत का तुम्हारा, 'नशा' भी उर्दू में है और तुम्हारी 'नफरत' भी उर्दू में है.
अब वो नशा धर्म का है, जाति का है, मजहब का है, भाषा का है, रंग का है, तुम तय कर लो.
अब ये देखो! तुम्हारा 'तय' भी उर्दू में है.
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