कुछ युवा पत्थरबाजी और अपने ही देश में अपने ही लोगों के धर्मस्थलों पर झंडियां ऐसे लगा रहे हैं जैसे एवरेस्ट फतेह कर लिया। शर्म करो। जीतना ही है तो बेरोजगारी, गरीबी, विषमता, अशिक्षा, अस्वास्थ्य, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों के खिलाफ बिगुल बजा कर अपनी जवानी का प्रदर्शन करो। विज्ञान और तकनीकी में या उद्यमिता में कुछ करके दुनियां में अपनी मौजूदगी दिखाओ। आखिर कब तक साम्प्रदायिकता के नाम पर देश को बरबाद किया जाता रहेगा? और देश प्रेम के नाम पर लोक, लोकतंत्र और राष्ट्र को कहां तक और कब तक बरबाद होने दिया जायेगा। भगवन सब को सन्मति देना। वे नहीं जानते वे क्या कर रहे हैं और उस आग से खेल रहे है जिसने महाभारत में सबको ध्वस्त कर दिया था। पितामह भीष्म की चुप्पी ने आर्यावत की धरा को निर्जन कर दिया था। वंदेमातरम।
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