आदतन हट्टे कट्टे, लोग स्त्री , पुरुष , खुद ओर अपने बच्चों के साथ भीख को अपना रोज़गार बनाते है तो ऐसे लोगों का तिरस्कार , करें बहिष्कार करें , देश को समाज को , हट्टे, कट्टे लोगों की भिखारियों की फ़ौज की ज़रूरत नहीं, बच्चों को पीढ़ी दर पीढ़ी इसे रोज़गार बनाने की इजाज़त नहीं , ऐसे लोगों के पुनर्वास , बच्चों के लिये मुफ्त शिक्षा , रहवास सहित कई सरकारी योजनाएं है , उन्हें वह बताइए, देश को भिखारियों , चंदा खोरों का देश मत बनने दीजिये , क्योंकि अभी नफरत ओर उद्योगपतियों को गरीब , भिखारी मान कर ज़बरदस्त मदद करने वाली सरकार जो है ,
*भीख मत दो !*
*नबी ए करीम ﷺ ने सवाल करने वाले (यानी भीख मांगने वाले) को कमा कर खाने की*
*अनोखी रहनुमाई फ़रमायी*
*एक बार रसूले अकरम ﷺ की ख़िदमत में किसी भिखारी ने*
*सवाल किया। तो अल्लाह के नबी ने फ़रमाया: क्या तेरे घर कुछ है..?*
*उसने कहा:* *एक कम्बल है जिसको आधा*
*बिछाता हूँ आधा ओढ़ता हूँ और एक प्याला है*
*जिससे पानी पीता हूँ।*
*फ़रमाया:*
*वो दोनों ले आओ।*
*रसूले अकरम ﷺ ने मजमे से ख़िताब करके फ़रमाया*
*इसे कौन ख़रीदता है? एक ने अर्ज़ किया कि मैं 1दिरहम से लेता हूँ,* *फ़िर दो तीन बार फ़रमाया कि दिरहम से ज़्यादा कौन देता है ?*
*दूसरे ने अर्ज़ किया: मैं 2 दिरहम में ख़रीदता हूँ,*
*रसूले अकरम ﷺ ने वोह दोनों चीज़े उन्ही को अता फ़रमा दीं*
*और वह 2 दिरहम उस भिखारी को देकर फ़रमाया कि एक का* *ग़ल्ला (अनाज) ख़रीद कर घर में डालो दूसरे* *दिरहम की कुल्हाड़ी ख़रीद कर मेरे पास लाओ।*
*फ़िर उस कुल्हाड़ी में अपने मुबारक हाथ से दस्ता*
*डाला और फ़रमाया: जाओ लकड़ियां काटो*
*और बेचो और 15 रोज़ तक मेरे पास न आना*
*वो भिखारी 15 रोज़ तक लकड़ियां काटते और बेचते*
*रहे 15 रोज़ के बाद जब बारगाहे नबवी ﷺ मे हाज़िर*
*हुए तो उनके पास खाने पीने के बाद 10 दिरहम बचे*
*थे उसमें से कुछ का कपड़ा ख़रीदा कुछ का ग़ल्ला।*
*रसूले अकरम ﷺ ने फ़रमाया, यह मेहनत तुम्हारे लिए मांगने से बेहतर है।*
*(इब्ने माजाह जिल्द 3 हदीस 2198 सफ़ा 36)*
*ग़ौर फ़रमाइए*
*रसूले अकरम ﷺ ने तो जिसके पास*
*सिर्फ़ 2 चीज़ें ( कम्बल और प्याला) था उसे भी*
*भीख मांगने के बजाए कमा कर खाने की तरग़ीब दिलायी*
*जबकि हमने भीख दे दे कर इनकी तादाद बढ़ा दी है*
*जिसकी वजह से भिखाारियों की सबसे ज़्यादा तादाद मुसलमानो में है ये लोग बाज़ारों, गलियों-*
*मुहल्लों और आम जगहों पर मुसलमानी हुलिये में*
*भीख मांग कर हमारे प्यारे मज़हब दीने इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं..*
*इनका सबसे ज़्यादा शिकार हमारी भोली भाली माँ- बहने होती हैं लिहाज़ा बेदारी लाइये,*
*अपने दोस्तो अहबाब ख़ास कर अपने घरों की*
*ख़्वातीन को समझाइये इन्हे भीख देकर मुसलमानो में भिखारियों की तादाद बढ़ाने का ज़रिया न बनिए।* *ज़कात फ़ित्र और सदक़ा से अपने कमज़ोर पडोसी अपने रिश्तेदारो या फिर आप जिसे जानते हो उसे भीख समझकर नहीं बल्कि उसकी माली मदद करके उसे मज़बूत बनाने में लगाए. अल्लाह अज़्जवजल से दुआ भी करे।*
*बराये करम इस पैग़ाम को आम कीजिए और कौम में बेदारी लाइए,,,शुक्रिया.*
*मस्जिदों घरों, बाज़ारो में औरते ख़ुद भी भीख मांग रही हैं, और अपने बच्चों को भी सीखा रही हैं*
स्ट्रीक्टली (सख्ती) के साथ
*भीख देकर मुसलमानों को भिखारी न बनाओ*
गुनहगारों में आ जाओगे
*सदक़ा, ख़ैरात, ज़कात जमा करके*
*अपने गरीब ज़रूरत मन्द रिश्तेदारों, पड़ोसियों, को तलाश करके राशन, कपड़े उनके घर पहुंचा दो।*
*लेकिन भीख मांगने वाले भिखारियों को भीख ना दो।*
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