दर्द में डूबे गीतों को अब कौन सुने
सच्चे मोती जैसे आंसू कौन चुने
पाकीज़ा एहसास किसे अब भाते हैं
यौवन ,रुप,सिँगार ही सिर्फ लुभाते हैं
नम आँखो की भाषा को अब कौन गुने
दर्द में डूबे गीतों को अब कौन सुने
अब रिश्तों के नाम पे एक छलावा है
लोग प्रेम का करते सिर्फ दिखावा है
प्रीत का धागा मीरा जैसा कौन बुने
दर्द में डूबे गीतों को अब कौन सुने
सिया सचदेव
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